# मौलिक अधिकार तथा नीति-निर्देशक तत्वों में अन्तर (विभेद) | Moulik Adhikar Vs Niti Nirdeshak Tatv

मौलिक अधिकार तथा नीति-निर्देशक तत्वों में अन्तर (विभेद) : मौलिक अधिकार तथा नीति-निर्देशक तत्व दोनों ही भारत राज्य के नागरिकों के विकास के लिए आवश्यक हैं। इस दृष्टि से इन्हें परस्पर सम्बन्धित कहा जा सकता है। फिर भी इन दोनों में कुछ मौलिक अन्तर हैं जो निम्नलिखित इस प्रकार है – 1. मौलिक अधिक न्याय … Read more

# छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजाति | छत्तीसगढ़ की PVTG जनजाति | CG Vishesh Pichhadi Janjati

छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजाति : भारत सरकार द्वारा सन 1960-61 ई. में अनुसूचित जनजातियों में आपस में ही विकास दर की असमानता का अध्ययन करने के लिए ‘उच्छरंगै नवलशंकर ढेबर‘ की अध्यक्षता में “ढेबर आयोग” का गठन किया गया था। ढेबर आयोग के रिपोर्ट के आधार पर अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत एक उपवर्ग बनाया गया जिसे … Read more

# औद्योगिक क्रांति के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनितिक प्रभाव | Audyogik Kranti Ke Prabhav | Effects of the Industrial Revolution

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनितिक प्रभाव : औद्योगिक क्रांति से विश्व के अधिकतर देशों में तीव्रता के साथ सामाजिक, आर्थिक एवं राजनितिक परिवर्तन हुआ। इस क्रान्ति से एक नये युग का सूत्रपात हुआ जिसके कारण नये वर्गों, नई नीतियों एवं नये विचारों का उद्भव हुआ जिससे प्राचीन परम्पराओं, रहन-सहन, खान-पान में परिवर्तन हुआ। … Read more

# औद्योगिक क्रान्ति की प्रमुख विशेषताएं | Characteristics of Industrial Revolution | Audyogik Kranti ki Visheshata

औद्योगिक क्रान्ति की प्रमुख विशेषताएं : औद्योगिक क्रान्ति से यूरोप एवं विश्व के अन्य देशों में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। इस क्रान्ति से उत्पादन के साधनों, विधियों, मात्राओं एवं गुणों में अत्यधिक परिवर्तन हुआ। जिससे व्यक्तियों, समाजों एवं राष्ट्रों के जीवन स्तर, रहन-सहन, खान-पान एवं विचारों में परिवर्तन हुआ। सामान्यतः उत्पादन के साधनों, विधियों मात्राओं … Read more

# औद्योगिक क्रान्ति के कारण | Due to Industrial Revolution | Audyogik Kranti Ke Karan

औद्योगिक क्रान्ति के प्रमुख कारण : सामान्यतः क्रान्ति शब्द से तात्पर्य राजनीतिक परिवर्तन से लिया जाता रहा है जो हिंसात्मक हुआ करती थी लेकिन बाद में क्रान्ति शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में किया गया। जब विश्व के किसी भी क्षेत्र में पुरातन व्यवस्था के स्थान पर एकाएक नई व्यवस्था का संचार होता है जिससे … Read more

# भारत में परिवीक्षा (प्रोबेशन) और पैरोल प्रणाली, अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, लाभ, दोष | Probition and Parole in India

परिवीक्षा/प्रोबेशन (Probation) : 20वीं शताब्दी को सुधार का युग माना जाता है। प्रोबेशन इसी सुधार युग का परिणाम है। इस सुधार में मानवतावादी दृष्टिकोण को प्रमुख स्थान दिया गया है। इस सुधार कार्यक्रम में उपयोगितावादी दृष्टिकोण को भी शामिल किया जाता है। इस वर्तमान युग में दण्ड के सुधारात्मक सिद्धान्त का विकास हुआ जिसके अनुसार … Read more