# अन्तर्वस्तु-विश्लेषण प्रक्रिया के प्रमुख चरण (Steps in the Content Analysis Process)

अन्तर्वस्तु-विश्लेषण संचार की प्रत्यक्ष सामग्री के विश्लेषण से सम्बन्धित अनुसंधान की एक प्रविधि है। दूसरे शब्दों में, संचार माध्यम द्वारा जो कहा जाता है उसका विश्लेषण इस प्रविधि द्वारा किया जाता है। अन्तर्वस्तु विश्लेषण को विषय विश्लेषण अथवा सामग्री विश्लेषण पद्धति भी कहा जाता है। फेस्टिंजर तथा डेनियल के शब्दों में, “अन्तर्वस्तु विश्लेषण, संचार से … Read more

# अन्तर्वस्तु-विश्लेषण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, उद्देश्य, उपयोगिता एवं महत्व (Content Analysis)

अन्तर्वस्तु-विश्लेषण संचार की प्रत्यक्ष सामग्री के विश्लेषण से सम्बन्धित अनुसंधान की एक प्रविधि है। दूसरे शब्दों में, संचार माध्यम द्वारा जो कहा जाता है उसका विश्लेषण इस प्रविधि द्वारा किया जाता है। अन्तर्वस्तु विश्लेषण को विषय विश्लेषण अथवा सामग्री विश्लेषण पद्धति भी कहा जाता है। सामाजिक घटनाओं के अवलोकन द्वारा जो गुणात्मक तथ्य एकत्रित किये … Read more

# हॉब्स के सामाजिक समझौता सिद्धांत (Samajik Samjhouta Ka Siddhant)

सामाजिक समझौता सिद्धान्त : राज्य की उत्पत्ति सम्बन्धी सिद्धान्तों में सामाजिक समझौता सिद्धान्त सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में इस सिद्धान्त की प्रधानता रही। यह सिद्धान्त दैवीय सिद्धान्त के विरोध में आया। यह एक काल्पनिक सिद्धान्त माना जाता है। इसके अनुसार राज्य ईश्वरीय नहीं मानवीय संस्था है। इसकी उत्पत्ति … Read more

# राज्य के कार्यक्षेत्र की सीमाएं (limits of state jurisdiction)

राज्य के कार्यक्षेत्र की सीमाएं : राज्य को उसके कार्यक्षेत्र की दृष्टि से अनेक भागों में वर्गीकृत किया गया है। राज्य के कार्य उसकी प्रकृति के अनुसार निर्धारित होते हैं। पूर्व में राज्य की प्रकृति के अनुसार राज्य के कार्यों का विवेचन किया गया है। प्रत्येक राज्य को अपने वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए … Read more

# राज्य साधन है या साध्य विवेचना कीजिए?

“राज्य परिवारों तथा ग्रामों का एक संघ होता है जिसका उद्देश्य एक पूर्ण तथा आत्मनिर्भर जीवन की स्थापना है, जिससे हमारा अभिप्राय सुखी और सम्मानीय जीवन से है।” – अरस्तू गिर्डिंस के अनुसार “राज्य का उद्देश्य ऐसा वातावरण बनाए रखना है, जिसमें सभी प्रजाजन सर्वोच्च तथा आत्म-निर्भर जीवन बिता सकें।” रिची ( Ritchie ) के … Read more

# राज्य के उदारवाद की आलोचना (Criticism of Liberalism)

“एक राजनैतिक सिद्धान्त के रूप में उदारवाद दो पृथक तत्वों का यौगिक है। इनमें से एक लोकतंत्र है और दूसरा व्यक्तिवाद।” – डब्ल्यू.एम. मेकगवर्न राजनीतिक चिन्तन के इतिहास में उदारवादी विचारधारा का अस्तित्व पिछली चार शताब्दियों से है। यह एक लचीली एवं गतिशील विचारधारा है जिसने समय की आवश्यकतानुसार स्वयं को संशोधित एवं परिवर्तित किया … Read more