# राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध

राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध : डॉ. गार्नर के अनुसार, “हम दूसरे सहायक विज्ञानों का यथावत ज्ञान प्राप्त किये बिना राजनीति विज्ञान एवं राज्य का पूर्ण ज्ञान ठीक उसी प्रकार प्राप्त नहीं कर सकते जिस प्रकार गणित के बिना यंत्र विज्ञान और रसायन शास्त्र के बिना जीव विज्ञान का यथावत् ज्ञान प्राप्त … Read more

# राजनीति विज्ञान की अध्ययन पद्धतियां | Study Methods of Political Science

राजनीति विज्ञान की अध्ययन पद्धतियां : किसी भी विषय के व्यवस्थित ज्ञान के लिए आवश्यक है कि उसके अध्ययन की एक उचित पद्धति हो । राजनीति के समुचित अध्ययन के लिए भी कोई पूर्ण पद्धति होना जरूरी है, किन्तु प्रकृति विज्ञानों की घटनाओं के समान राजनीति विज्ञान की घटनाओं का क्रम निश्चित नहीं है। अतः … Read more

# राजनीति विज्ञान की प्रकृति (Rajniti Vigyan Ki Prakriti)

राजनीति विज्ञान की प्रकृति : इस विचार को तो सभी विद्वान स्वीकार करते हैं कि मनुष्य के राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन राजनीति विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है, किन्तु इसकी प्रकृति क्या है ? इस बारे में मतभेद है। जहाँ अरस्तू ने इस शास्त्र को सर्वोच्च विज्ञान की संज्ञा दी है, वहाँ बकल, कॉम्टे, मैटलैण्ड … Read more

# राजनीति विज्ञान का विषय-क्षेत्र (अध्ययन-क्षेत्र) | Subject Field of Political Science

राजनीति विज्ञान का विषय-क्षेत्र : राजनीति विज्ञान, समाज के अध्ययन का वह पहलू है जिसमें हम राज्य और संगठन का अध्ययन करते हैं। किसी विषय के क्षेत्र का अर्थ होता है उसकी विषय-वस्तु क्या है ? उसके अन्तर्गत किन-किन बातों का अध्ययन किया जाता है। राजनीति विज्ञान की परिभाषा के सम्बन्ध में विद्वान एकमत नहीं … Read more

# राजनीतिक समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं | Rajnitik Samajshastra

राजनीतिक समाजशास्त्र समाजशास्त्र का ही एक प्रमुख शाखा है। इसका अस्तित्व समाज में धीरे-धीरे आया और लोगों की इसके प्रति भी रूचि बढ़ी है। प्रायः ये समाज में पहले से ही विद्यमान था परन्तु इसे समझने व पढ़ने का काम देर से शुरू हुआ। राजनीतिक समाजशास्त्र समाज के प्रत्येक क्षेत्र में विद्यमान है। बस हमें … Read more

# राज्य के कार्य एवं औचित्य | State functions and justifications

राज्य के कार्य एवं औचित्य : यह सिद्ध हो चुका है कि राज्य और मानव का अटूट रिश्ता है। दोनों का एक दूसरे के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सृष्टि निर्माण के प्रारम्भिक दौर में राज्य नामक संस्था का अभाव था, लेकिन जैसे-जैसे मानव सभ्यता व संस्कृति का विकास होता गया है वैसे-वैसे उसके जीवन … Read more