# राज्य साधन है या साध्य विवेचना कीजिए?

“राज्य परिवारों तथा ग्रामों का एक संघ होता है जिसका उद्देश्य एक पूर्ण तथा आत्मनिर्भर जीवन की स्थापना है, जिससे हमारा अभिप्राय सुखी और सम्मानीय जीवन से है।” – अरस्तू गिर्डिंस के अनुसार “राज्य का उद्देश्य ऐसा वातावरण बनाए रखना है, जिसमें सभी प्रजाजन सर्वोच्च तथा आत्म-निर्भर जीवन बिता सकें।” रिची ( Ritchie ) के … Read more

# राज्य के उदारवाद की आलोचना (Criticism of Liberalism)

“एक राजनैतिक सिद्धान्त के रूप में उदारवाद दो पृथक तत्वों का यौगिक है। इनमें से एक लोकतंत्र है और दूसरा व्यक्तिवाद।” – डब्ल्यू.एम. मेकगवर्न राजनीतिक चिन्तन के इतिहास में उदारवादी विचारधारा का अस्तित्व पिछली चार शताब्दियों से है। यह एक लचीली एवं गतिशील विचारधारा है जिसने समय की आवश्यकतानुसार स्वयं को संशोधित एवं परिवर्तित किया … Read more

# व्यवहारवाद का अर्थ, परिभाषाएं, उपागम, महत्व, लक्षण, आलोचनाएं या सीमाएं

द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् परम्परागत राजनीति विज्ञान के विरोध में एक व्यापक क्रान्ति हुई इस क्रान्ति को “व्यवहारवाद” नाम दिया जाता है। व्यवहारवाद से अभिप्राय उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में राज्य, समाज एवं मानव का व्यवस्थित अध्ययन विश्वविद्यालय स्तर पर प्रारम्भ हो गया था। इस प्रकार के अध्ययन का सामान्य प्रचलित नाम सामाजिक विज्ञान था … Read more

# राज्य का उदारवादी दृष्टिकोण (Liberal Perspective of the State)

राज्य का उदारवादी दृष्टिकोण : “एक राजनैतिक सिद्धान्त के रूप में उदारवाद दो पृथक तत्वों का यौगिक है। इनमें से एक लोकतंत्र है और दूसरा व्यक्तिवाद” – डब्ल्यू. एम. मेकगवर्न राजनीतिक चिन्तन के इतिहास में उदारवादी विचारधारा का अस्तित्व पिछली चार शताब्दियों से है। यह एक लचीली एवं गतिशील विचारधारा है जिसने समय की आवश्यकता … Read more

# राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध

राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध : डॉ. गार्नर के अनुसार, “हम दूसरे सहायक विज्ञानों का यथावत ज्ञान प्राप्त किये बिना राजनीति विज्ञान एवं राज्य का पूर्ण ज्ञान ठीक उसी प्रकार प्राप्त नहीं कर सकते जिस प्रकार गणित के बिना यंत्र विज्ञान और रसायन शास्त्र के बिना जीव विज्ञान का यथावत् ज्ञान प्राप्त … Read more

# राजनीति विज्ञान की अध्ययन पद्धतियां | Study Methods of Political Science

राजनीति विज्ञान की अध्ययन पद्धतियां : किसी भी विषय के व्यवस्थित ज्ञान के लिए आवश्यक है कि उसके अध्ययन की एक उचित पद्धति हो । राजनीति के समुचित अध्ययन के लिए भी कोई पूर्ण पद्धति होना जरूरी है, किन्तु प्रकृति विज्ञानों की घटनाओं के समान राजनीति विज्ञान की घटनाओं का क्रम निश्चित नहीं है। अतः … Read more