# भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं | Bharatiya Samvidhan Ki Visheshata

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत के संविधान सभा ने भारत का नवीन संविधान निर्मित किया। 26 नवम्बर, 1949 ई. को नवीन संविधान बनकर तैयार हुआ। इस संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। यह संविधान 26 जनवरी, 1950 को कार्यान्वित किया गया। भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं : यह संविधान … Read more

# प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता : ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य | Freedom of Press and Expression

प्रेस की स्वतन्त्रता : संविधान में प्रेस की आज़ादी के विषय में अलग से कोई चर्चा नहीं की गई है, वहाँ केवल वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के विषय में उल्लेख किया गया है। किसी भी पत्रकार के लिए यह आवश्यक है कि वह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए स्वतन्त्रता के साथ … Read more

# सरला मुद्गल बनाम भारत संघ मामला (Sarla Mudgal Case)

सरला मुद्गल बनाम भारत संघ : सरला मुद्गल बनाम भारत संघ वाद सामुदायिक कल्याण से जुड़ा बाद है, भारत के संविधान के निदेशक तत्वों में नागरिकों के लिए एक ‘समान सिविल संहिता’ को भी उल्लिखित किया गया है। संविधान की व्यवस्थानुसार – “राज्य, भारत के समस्त राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल … Read more

# संवैधानिक उपचारों का अधिकार एवं महत्त्व (रिट याचिका के महत्व)

उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय नागरिकों के मूल अधिकारों के ‘संरक्षक‘ एवं संविधान के ‘सजग प्रहरी‘ है। यह संविधान एवं अधिकारों की रक्षा के लिये ‘ढाल‘ का काम करते हैं। जब कभी किसी व्यक्ति के अधिकारों का अतिक्रमण होता है तो वह इनकी रक्षा के लिये न्यायालयों का दरवाजा खटखटा सकता है। न्यायालय ऐसे व्यक्तियों … Read more

# राष्ट्रपति के विधेयक स्वीकृति संबंधी शक्ति निषेधाधिकार (वीटो पावर) का प्रयोग

भारतीय संघ की संसद दो सदनों और राष्ट्रपति का संयुक्त स्वरूप है। कोई भी विधेयक तब तक विधि का स्थान नहीं ले सकता है, जब तक उस पर राष्ट्रपति की अनुमति नहीं मिल जाती क्योंकि राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग है। इसीलिये विधेयक के दोनों सदनों द्वारा पारित हो जाने पर उसे अनुमति हेतु … Read more

# अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 भारत में स्वतंत्रता के बाद संविधान के अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया है और इसका किसी भी रूप में पालन करना दंडनीय अपराध माना गया है। भारतीय समाज में अस्पृश्यता की स्थिति को देखते हुए संविधान के अनु. 17 और 35 … Read more