# डॉ. राधा कमल मुखर्जी का सामाजिक मूल्य सिद्धांत | सामाजिक मूल्य की परिभाषा, प्रकृति/विशेषताएं, उद्भव, सोपान या संस्तरण, अवमूल्य

सामाजिक मूल्यों का सिद्धान्त : समाजशास्त्रीय विचारधारा के क्षेत्र में डॉ. राधा कमल मुखर्जी ने अपने सामाजिक मूल्यों के सिद्धान्त का प्रतिपादन करके समाजशास्त्रीय जगत में महान ख्याति प्राप्त की है, सामान्यतः मूल्यों के सम्बन्ध में मुखर्जी ने प्रायः अपनी सभी कृतियों में कुछ न कुछ उल्लेख किया है। वास्तव में इन्होंने अपने सामाजिक मूल्य … Read more

# समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति के विरुद्ध आपत्तियां / आलोचनाएं | Some Objections Against the Sociology

यहां हम समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति के विरुद्ध कुछ आपत्तियां/आलोचनाएं/आरोप/कमी के बारे जानेंगे। Read More : समाजशास्त्र की वैज्ञानिक/वास्तविक प्रकृति. समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति के विरुद्ध कुछ आपत्तियाँ : कुछ विचारकों की मान्यता है कि प्राकृतिक विज्ञानों का लक्ष्य ‘कारण सम्बन्धी व्याख्या‘ प्रस्तुत करना है, जबकि सामाजिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विज्ञानों का लक्ष्य अर्थ का … Read more

# समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति | Scientific Nature of Sociology | Samajshastra Ki Vaigyanik Prakriti

समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति : मैक्स वेबर (Max Weber) के शब्दों में, – “समाजशास्त्र एक विज्ञान है। यह सामाजिक कार्यों की व्याख्या करते हुए इनको स्पष्ट करने का प्रयास करता है।” गिडिंग्स (Giddings) के शब्दों में, – “समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक अध्ययन है।” समाजशास्त्र विज्ञान के रूप में – समाजशास्त्र अन्य विज्ञानों की तरह ही … Read more

# समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा (समाजशास्त्र क्या है?) | Meaning and definition of sociology

समाजशास्त्र का अर्थ : समाजशास्त्र (Sociology) शब्द लैटिन भाषा के “सोशियस” (Socius) और ग्रीक भाषा के “लोगस” (Logos) शब्द से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ “समाज का विज्ञान” या “समाज का अध्ययन” है। यद्यपि विभिन्न समाजशास्त्रियों द्वारा इसकी व्याख्या सम्पूर्ण समाज का अध्ययन करने वाला विज्ञान, सामाजिक संबंधों का अध्ययन करने वाला विज्ञान, सामाजिक … Read more

# सामाजिक परिवर्तन पर गाँधीवादी विचारधारा (गाँधीवादी सिद्धान्त) | Gandhian Theory on Social Change

परिवर्तन प्रकृति का नियम है। समाज और राज्य में परिवर्तन होते रहते हैं। यह प्रक्रिया अविचल गति से चलती रहती है। अतएव राजनीतिक-सामाजिक चिन्तकों के लिए यह विषय विचारणीय रहा है कि परिवर्तन के नियम क्या हैं, परिवर्तन में मनुष्य की क्या भूमिका है, परिवर्तन की गति, उसका लक्ष्य क्या है? इस सभी प्रश्नों पर … Read more

# शिक्षा में सामाजिक विज्ञान/अध्ययन शिक्षण का महत्त्व (Importance of Social Studies in Education)

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में उसका जन्म होता है और समाज में ही उसकी मृत्यु होती है। ऐसी दशा में उसके लिए आवश्यक है कि वह समाज में अपने को ठीक प्रकार से व्यवस्थित करे। यदि व्यक्ति अपने को समाज में ठीक प्रकार से व्यवस्थित कर लेता है तो यह उसकी सफलता है, … Read more