# समाज कार्य अनुसन्धान का वर्गीकरण (Classification of Social Work Research)

समाज कार्य अनुसन्धान का प्रमुख उद्देश्य सेवार्थियों को उनकी अपनी संस्कृति एवं पर्यावरण से अल किये बिना उनको अपनी सामाजिक परिस्थितियों में ही समायोजित करने में सहायता प्रदान करना है। सम कार्य अनुसन्धान को कला एवं विज्ञान दोनों के रूप में स्वीकार किया जा चुका है। इसकी वैज्ञानिकता परीक्षण क्रमबद्ध सुव्यवस्थित ढंग से किया जा … Read more

# वेबलिन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए (The Concept of Social Change)

अपने सामाजिक परिवर्तन की अवधारणा में वेब्लेन ने मनुष्य को अपनी आदतों द्वारा नियन्त्रित माना है। मनुष्य की आदतों तथा मनोवृत्तियाँ भौतिक पर्यावरण विशेषकर प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के अनुसार परिवर्तित होती रहती हैं। दूसरे शब्दों में, मनुष्य की आदतें तथा मनोवृत्तियाँ उस कार्य तथा प्रविधि का प्रत्यक्ष फल है जिसके द्वारा वह अपनी जीविका कमाता … Read more

# पैरेटो के अभिजात वर्ग के परिभ्रमण का सिद्धांत (Abhijaat Varg Ke Paribhraman Ka Siddhant)

पैरेटो के अनुसार सामाजिक परिवर्तन एक चक्रीय परिवर्तन है। प्रत्येक समाज में किसी न किसी आधार पर ऊँच-नीच का संस्तरण अवश्य होता है। इसमें ऊपर वाला व्यक्ति नीचे और नीचे वाला व्यक्ति ऊपर जाता है। जो राजा है वह रंक होगा और जो रंक है वह राजा अवश्य होगा। समस्त विश्व का इतिहास इस बात … Read more

# ब्रिटिश भारत के किसान (कृषक) आन्दोलन : कारण एवं स्वरूप (Krishak/Kisan Aandolan)

कृषक आन्दोलन (Peasant Movements) : अंग्रेजी शासनकाल में किसानों की दशा सोचनीय थी। प्रत्येक भूमि बन्दोबस्त (Land Settlement), जो अंग्रेज करते थे, भारतीय किसानों की स्थिति को और खराब कर देता था। नवीन भूमि व्यवस्था के कारण अनेक प्रकार के भूमिपति हो गए थे जिनकी शोषण प्रवृत्ति का शिकार किसान ही होता था। इस प्रकार … Read more

# बाली परब पर्व : बस्तर | Bali Parab Parv/Tihar Bastar Chhattisgarh

बस्तर क्षेत्र के पारंपरिक पर्व : बाली परब बाली परब बस्तर अंचल के हल्बी-भतरी परिवेश में मनाया जाने वाला एक विशिष्ट कोटि का आँचलिक पर्व है। यह पर्व वर्षों बाद आता है और महिनों तक चलता है। पर्व स्थल पर आसपास के ही नहीं, अपितु दूर-दूर के वनवासी ‘बाली परब’ में सम्मिलित होते हैं। यह … Read more

# हॉब्स के सामाजिक समझौता सिद्धांत (Samajik Samjhouta Ka Siddhant)

सामाजिक समझौता सिद्धान्त : राज्य की उत्पत्ति सम्बन्धी सिद्धान्तों में सामाजिक समझौता सिद्धान्त सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में इस सिद्धान्त की प्रधानता रही। यह सिद्धान्त दैवीय सिद्धान्त के विरोध में आया। यह एक काल्पनिक सिद्धान्त माना जाता है। इसके अनुसार राज्य ईश्वरीय नहीं मानवीय संस्था है। इसकी उत्पत्ति … Read more