# राज्य साधन है या साध्य विवेचना कीजिए?

“राज्य परिवारों तथा ग्रामों का एक संघ होता है जिसका उद्देश्य एक पूर्ण तथा आत्मनिर्भर जीवन की स्थापना है, जिससे हमारा अभिप्राय सुखी और सम्मानीय जीवन से…

# राज्य के उदारवाद की आलोचना (Criticism of Liberalism)

“एक राजनैतिक सिद्धान्त के रूप में उदारवाद दो पृथक तत्वों का यौगिक है। इनमें से एक लोकतंत्र है और दूसरा व्यक्तिवाद।” – डब्ल्यू.एम. मेकगवर्न राजनीतिक चिन्तन के…

# व्यवहारवाद का अर्थ, परिभाषाएं, उपागम, महत्व, लक्षण, आलोचनाएं या सीमाएं

द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् परम्परागत राजनीति विज्ञान के विरोध में एक व्यापक क्रान्ति हुई इस क्रान्ति को “व्यवहारवाद” नाम दिया जाता है। व्यवहारवाद से अभिप्राय उन्नीसवीं शताब्दी…

# राज्य का उदारवादी दृष्टिकोण (Liberal Perspective of the State)

राज्य का उदारवादी दृष्टिकोण : “एक राजनैतिक सिद्धान्त के रूप में उदारवाद दो पृथक तत्वों का यौगिक है। इनमें से एक लोकतंत्र है और दूसरा व्यक्तिवाद” –…

# ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्त (ब्रह्म समाज और राजा राममोहन राय)

राजा राममोहन राय भारतीय नवजागरण के अग्रदूत और सुधार आन्दोलनों के प्रणेता थे। वे एक नये युग के प्रवर्तक थे। 1828 ई. में इन्होंने ‘ब्रह्म समाज‘ की…

# आर्य समाज के प्रमुख सिद्धान्त (आर्य समाज और स्वामी दयानन्द सरस्वती)

आर्य समाज ने समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। इसके प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती थे। परिचय: आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती थे। 19वीं…