# संस्था के सामाजिक कार्य, उद्देश्य या महत्त्व | Sanstha ke Samajik Karya, Uddeshya, Mahatva

बोगार्डस (Bogardus) के अनुसार, “सामाजिक संस्था समाज की वह संरचना है जिसको सुस्थापित कार्यविधियों द्वारा व्यक्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संगठित किया जाता है।”

Read More : संस्था की परिभाषा एवं विशेषताएं

संस्था के सामाजिक कार्य, उद्देश्य या महत्त्व :

विभिन्न विद्वानों ने सामाजिक संस्थाओं के कुछ आधारभूत सामाजिक कार्य बताए हैं जोकि निम्नलिखित है-

1. मानव व्यवहार पर नियन्त्रण

सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सदस्यों का व्यवहार समाज की आशा के अनुरूप होना चाहिए। सामाजिक संस्थाएँ, जोकि सामूहिक अभिमति की अभिव्यक्ति होती हैं, इसमें पूर्ण योगदान देती है। सामाजिक संस्था का उल्लंघन करना कोई सरल काम नहीं है।

2. संस्कृति की वाहक

सामाजिक संस्थाएँ सांस्कृतिक व्यवस्था का अंग होती है। ये सांस्कृतिक विरासत पर आधारित होती हैं। सामाजिक संस्था के नियम और पद्धतियाँ संस्कृति के गुणों को दर्शाते हैं। संस्थाओं के द्वारा संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होती है।

3. सामाजिक परिवर्तन का कारण

सामाजिक संस्था में रूढ़िवादिता होने के कारण परिवर्तित युग के साथ सामंजस्य स्थापित नहीं होता और न आवश्यकता ही पूरी हो पाती है। ऐसी दशा में संस्थाओं में परिवर्तन के प्रयत्न सामाजिक परिवर्तन लाते है।

4. व्यक्ति के विकास और प्रगति में बाधक

सामाजिक संस्थाएँ कई बार व्यक्ति के विकास और प्रगति में भी बाधा बन जाती हैं। उदाहरणार्थ- व्यक्ति के लिए अपनी जाति या उपजाति के अन्दर विवाह करना अत्यन्त आवश्यक है। ऐसी दशा में रूढ़िवादिता के कारण विभिन्न जातियों में दूरी बनी रहती है।

5. व्यक्ति को प्रस्थिति एवं भूमिका प्रदान करना

प्रत्येक सामाजिक संस्था अपने सदस्य को पद देती है और  उस पद के अनुसार भूमिका की आशा करती है। उदाहरण के लिए विवाह के बाद पुरुष और स्त्री को क्रमश: पति एवं पत्नी का पद प्राप्त होता है और उनसे हम इन पदों के अनुकूल भूमिका की आशा करते हैं।

6. सामाजिक अनुकूलन में सहायक

सामाजिक संस्थाएं अपने नियमों तथा उपनियमों के द्वारा व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों के साथ अनुकूलन करना सिखाती हैं।

7. मार्गदर्शन करना

मनुष्य के व्यवहारों एवं आचरणों को निर्देशित करने के लिए विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ मार्गदर्शन का कार्य करती है । क्योकि संस्थाएँ समाज द्वारा मान्यता प्राप्त विधियाँ हैं, इसलिए व्यक्ति इन विधियों के अनुसार व्यवहार करने के लिए प्रेरित होता है।

8. मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति

सामाजिक संस्था का सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्रथम कार्य मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। मानव सर्वप्रथम किसी आवश्यकता का अनुभव करता है तथा उसकी पूर्ति हेतु संस्था का जन्म होता है।

The premier library of general studies, current affairs, educational news with also competitive examination related syllabus.

Related Posts

# सिद्धान्त निर्माण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, महत्व | सिद्धान्त निर्माण के प्रकार | Siddhant Nirman

सिद्धान्त निर्माण : सिद्धान्त वैज्ञानिक अनुसन्धान का एक महत्वपूर्ण चरण है। गुडे तथा हॉट ने सिद्धान्त को विज्ञान का उपकरण माना है क्योंकि इससे हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण…

# पैरेटो की सामाजिक क्रिया की अवधारणा | Social Action Theory of Vilfred Pareto

सामाजिक क्रिया सिद्धान्त प्रमुख रूप से एक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त है। सर्वप्रथम विल्फ्रेडो पैरेटो ने सामाजिक क्रिया सिद्धान्त की रूपरेखा प्रस्तुत की। बाद में मैक्स वेबर ने सामाजिक…

# सामाजिक एकता (सुदृढ़ता) या समैक्य का सिद्धान्त : दुर्खीम | Theory of Social Solidarity

दुर्खीम के सामाजिक एकता का सिद्धान्त : दुर्खीम ने सामाजिक एकता या समैक्य के सिद्धान्त का प्रतिपादन अपनी पुस्तक “दी डिवीजन आफ लेबर इन सोसाइटी” (The Division…

# पारसन्स के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त | Parsons’s Theory of Social Stratification

पारसन्स का सिद्धान्त (Theory of Parsons) : सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवादी सिद्धान्तों में पारसन्स का सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त एक प्रमुख सिद्धान्त माना जाता है अतएव यहाँ…

# मैक्स वेबर के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त | Maxweber’s Theory of Social Stratification

मैक्स वेबर के सामाजिक स्तरीकरण के सिद्धान्त : मैक्स वेबर ने अपने सामाजिक स्तरीकरण के सिद्धान्त में “कार्ल मार्क्स के सामाजिक स्तरीकरण सिद्धान्त” की कमियों को दूर…

# कार्ल मार्क्स के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त | Karl Marx’s Theory of Social Stratification

कार्ल मार्क्स के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त – कार्ल मार्क्स के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त मार्क्स की वर्ग व्यवस्था पर आधारित है। मार्क्स ने समाज में आर्थिक आधार…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four × 3 =