# इंग्लैंड (ब्रिटेन) में औद्योगिक क्रान्ति के प्रमुख कारण, प्रभाव एवं परिणाम | England Me Audyogik Kranti

इंग्लैंड (ब्रिटेन) में औद्योगिक क्रान्ति :

18वीं शताब्दी के द्वितीय अर्द्धभाग और 19वीं शताब्दी के आरम्भ में इंग्लैण्ड के शिल्प और उद्योग-धन्धों में परिवर्तन हुए। औद्योगिक क्रान्ति का इस्तेमाल इन सभी परिवर्तनों के लिए किया गया।

ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में परिवर्तन- 18वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में कृषि क्रान्ति का श्रीगणेश हुआ। उत्तरार्द्ध में औद्योगिक क्रान्ति हुई।

औद्योगिक क्रान्ति लगभग जॉर्ज द्वितीय के काल में हुई। उसका शासनकाल (1760 से 1820 तक) था। 1760 ई. के पूर्व ब्रिटेन एक कृषि प्रधान देश था। उसकी जनता गाँवों में रहती थी। नगरों की संख्या कम थी। देश में बहुत कम उद्योग थे। इन्हें शिल्पकार चलाते थे। 1820 में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुआ। सस्ते औजारों की जगह मशीनें आ गईं। ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में उद्योगों के ढंग और श्रमिकों के दर्जे में परिवर्तन आया।

अंग्रेजों की प्रतिभा जागी- औद्योगिक क्रान्ति उस देश में हुई जो किसी चीज के लिए मशहूर नहीं था, वह अब तक कई देशों की दया पर जीवित था। जरूरत होने पर नकल करके सीखता था, अतः बुनने का ढंग उसने फ्रांस से सीखा । रेशम की कताई इटली से चुरा लाया। कृषि के क्षेत्र में फ्लोमिश विधियों की नकल कर रहा था।

बालपोल और पिट के युग में वहाँ खनिज साधनों को ढूँढा गया, लेकिन अचानक प्रतिभाशाली शिल्पियों में एक दल उत्पन्न हुआ जो व्यापारिक संघर्ष की प्रभुसत्ता में आगे आ गया और समूचे विश्व का वर्कशॉप बन गया। जब अंग्रेजी प्रतिभा जागी तो सभी प्रतियोगी पीछे रह गये जो कि उससे आगे थे।

अन्य देशों के लिए बाधाएँ- उसके लिए भौगोलिक स्थिति काफी लाभदायक थी। वहाँ जलवायु ठण्डी है। स्पेन, पुर्तगाल ने समुद्री रास्ते तलाश किये। हॉलैण्ड और फ्रांस उसके आगे थे, लेकिन हॉलैण्ड और स्पेन पिछड़ गये। फ्रांस क्रान्ति के कारण पिछड़ गया। उसकी अर्थव्यवस्था नष्ट हो गई। यदि फ्रांस में क्रान्ति न होती तो इंग्लैण्ड वस्त्र उद्योग में आगे न आता। जब 1830 ई. में फ्रांस संभल पाया, तब इंग्लैण्ड काफी आगे आ गया था।

ब्रिटेन की सफलता- ब्रिटेन लोहा पैदा करने वाला महान् देश कैसे बना। उसके पास कोयला था। लोहे की चूरी पिघलाने की शक्ति थी। कपास में भी आगे आ गया। उसने विश्व में व्यापारिक मण्डियाँ बनाईं। वह अपना माल बेच सकता था। उपनिवेशों की मण्डी में माल ले जा सकता था तथा उसका औद्योगिक प्रसार हुआ।

क्रान्ति की लहरें- ब्रिटेन में क्रान्ति की लहरें आईं। इंजीनियरिंग का विकास हुआ। कपड़ा मशीनों के निर्माण और मरम्मत, खानों से कोयला निकालने, मशीनी औजार, स्टीम इंजन तथा लोकोमोटिव इंजन बनाने के लिए इंजीनियरिंग आयरन की आवश्यकता थी, लेकिन इंजीनियरिंग आयरन फाउण्ड्रियों पर निर्भर थी। तब तक अच्छी क्वालिटी का लोहा न तैयार हो, इंजीनियरों को अपने काम के लिए सामान नहीं मिल सकता था। इसलिए लोहे की चूरी पिघलाने और कास्ट आयरन तथा इस्पात तैयार करने में क्रान्ति की दूसरी लहर थी जो मशीन निर्माण की आवश्यकतावश लाई गई, कपड़ा उद्योग में विकास के लिए रसायन उद्योग में परिवर्तन की जरूरत हुई। ये सभी कोयले की सप्लाई पर निर्भर थे। इसलिए कोयला खानों को विकसित किया गया। इस प्रकार क्रान्ति की लहर सभी चरणों में देखी गयी। इस प्रकार हमारा तात्पर्य उन आश्चर्यजनक परिवर्तनों से है जो उद्योगविधियों में जॉर्ज तृतीय के शासनकाल में हुए। इसके कारण ब्रिटेन जो कृषि प्रधान देश था, उद्योग प्रधान हो गया।

रॉबर्टसन के शब्दों में, “औद्योगिक क्रान्ति की परिधि परस्पर सम्बन्धित व भिन्न-भिन्न तथ्यों व स्तरों का मेल है। जैसे- उसकी उत्पत्ति में प्राचीन आर्थिक संगठन था और उसके विकास में जनसंख्या की वृद्धि, प्रयास और विभाजन, उद्योग क्षेत्रों में नये अभिकरण और परिवर्तन, महान अन्वेषण और अन्वेषक, यातायात और आदान-प्रदान में परिवर्तन, घेराबन्दी आन्दोलन का आरम्भ, अर्थशास्त्र, मुद्रा व वित्त सम्बन्धी नये-नये सिद्धान्तों का विकास, मजदूरी और मूल्यों में हेरफेर, पूँजीवाद और औद्योगिक श्रमिक वर्ग का उत्थान, श्रमिक संगठनों का प्रारम्भ, दारिद्रय उन्मूलन के विधान, केन्द्रीय तथा स्थानीय शासन के नये सिद्धान्तों का प्रवर्तन इत्यादि महत्वपूर्ण थे।”

इस औद्योगिक क्रान्ति के कारण इंग्लैण्ड तथा कई अन्य देशों की उत्पादन विधि तथा अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इसके कारण पूँजीवाद और बैंकों की पद्धति का जन्म हुआ। इंग्लैण्ड को तैयार माल तलाश करने के लिए अनेक मंडियों तलाश करनी पड़ी। यहाँ उपनिवेशवाद बढ़ा और बाद में साम्राज्यवाद का जन्म हुआ। इंग्लैण्ड ने अधिक माल बेचने के लिए मुक्त व्यापार की नीति अपनाई, जिसके कारण पराधीन देशों का काफी शोषण हुआ।

औद्योगिक क्रान्ति के कारण –

क्रान्ति का अर्थ रक्तपात और मार-काट से लिया जाता है, परन्तु लड़ाई-झगड़े के किसी भी क्षेत्र में महान् परिवर्तन होना भी क्रान्ति कहलाता है। इंग्लैण्ड में यह क्रान्ति अचानक हुई। इसके कारण मशीनों और कारखानों का विकास हुआ। देश के आर्थिक क्षेत्र में अचानक आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए। कुछ सुविधाओं के कारण यह क्रान्ति इंग्लैण्ड में हुई। संक्षेप में इसके कारण निम्न प्रकार हैं-

1. व्यापार में वृद्धि

स्पेन और पुर्तगाल ने अमेरिका और भारत की खोज की लेकिन वे अपनी कठिनाइयों में उलझ गये। अंग्रेज परिश्रम से आगे बढ़े, वे अन्य देशों से वस्तुएँ मँगाते और यूरोपीय देशों में सप्लाई करते। धीरे-धीरे उन्होंने इन चीजों का निर्माण शुरू किया। इसका लाभ उनको मिला। औद्योगिक क्रान्ति वहाँ शुरू हुई।

2. भौगोलिक स्थिति

इंग्लैण्ड में चारों और समुद्र है। उसे बन्दरगाहों की सुविधा है। इस सुविधा का इंग्लैण्ड ने फायदा उठाया।

3. जल सेना

इंग्लैण्ड को जल सेना की सुविधा थी। ‘उसको समुद्र की रानी’ उपाधि प्राप्त थी। अन्य देशों को यह सुविधा नहीं थी। वह अपना माल स्वयं ले जा सकता था। इन सुविधाओं ने भी औद्योगिक क्रान्ति को जन्म दिया।

4. इंग्लैण्ड में स्वतन्त्रता का वातावरण

इंग्लैण्ड में व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का वातावरण सबसे पहले आया। जनता के लोग विद्वानों के सिद्धान्तों की आलोचना करने लगे। औद्योगिक क्षेत्र में क्रान्ति लाना सरल कार्य नहीं था।

5. खनिज पदार्थ

इंग्लैण्ड में कोयला तथा लोहा पाया जाता था, इस सुविधा से भी अनेक मशीनों और भारी मशीनों के निर्माण में सुविधा मिली। कोयले से भाप बनी। कल-कारखानों में शक्ति का अच्छा साधन सिद्ध हुई।

6. स्पर्द्धा और राष्ट्रीयता

यूरोप के अन्य देशों की अपेक्षा इंग्लैण्ड में स्पर्द्धा की भावना अधिक थी। इस स्पर्धा से राष्ट्रीय भावना को काफी बल मिला।

7. आविष्कार तथा क्रान्ति

कुछ देशभक्तों ने अनेक प्रकार के आविष्कार किये जिन्होंने इंग्लैण्ड को विश्व का नेता बना दिया।

उपर्युक्त कथनों के अतिरिक्त औद्योगिक क्रान्ति में इंग्लैण्ड में होने के कई कारण थे। वहाँ क्रान्ति के लिए आवश्यक बातें पायी जाती थीं। अन्य यूरोपीय देशों की अपेक्षा इंग्लैण्ड में राष्ट्रीय एकता और राजनीतिक स्थायित्व अधिक था। वह सामुद्रिक और औपनिवेशिक शक्ति था। उसके पास पूँजी भी थी। उसकी जलवायु सूती कताई के लिए अच्छी थी। इसलिए औद्योगिक क्रान्ति इंग्लैण्ड में सर्वप्रथम हुई, क्योंकि इंग्लैण्ड में लोगों को विचार और भाषण की स्वतन्त्रता थी। सरकार किसी बात पर अनुचित प्रतिबन्ध नहीं लगाती थी। कोयले और लोहे की खाने समीप थीं। कृषि में भी क्रान्ति हो चुकी थी। इन्हीं कारणों से इंग्लैण्ड में सर्वप्रथम क्रान्ति हुई।

औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव और परिणाम –

औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव इंग्लैण्ड के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों पर विशेष रूप से पड़े जो कि निम्नलिखित हैं-

1. आर्थिक प्रभाव

उपर्युक्त उल्लेखनीय आविष्कारों और सुधारों के परिणामस्वरूप 19वीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में ब्रिटेन के व्यापार तथा उद्योग में महान् घटनाओं का सूत्रपात हुआ। कुटीर उद्योग समाप्त हो गये। पूँजीवाद का जन्म हुआ। पूँजी की माँग बढ़ने लगी जिससे अनेक बैंकों का जन्म हुआ। इंग्लैण्ड में फैक्ट्री के सिवाय कुछ नहीं रहा। मानचेस्टर से लिवरपूल तक जो नहर बनाई, वह लंदन के बैंकर द्वारा ड्यूक को दिये 25,000 पौण्ड ऋण द्वारा ही पूर्ण हो गयी। नगरों में मजदूर गाँव में काम करने को आये। इस प्रकार नवीन कारखानों और मिलों की स्थापना हुई।

2. श्रमिकों की संख्या में वृद्धि

देश की जनंसख्या में वृद्धि हुई। यह इस परिणाम का नतीजा था, जो कि ब्रिटेन के जनजीवन में आया। इंग्लैण्ड की जनसंख्या भी बढ़ी, क्योंकि मिल कारखानों में हजारों मजदूर आये। मजदूरों की दशा खराब थी। इसलिए समाजवाद का जन्म हुआ। मजदूरों की दशा सुधारने के लिए संघ बने।

3. सामाजिक प्रभाव

क्रान्ति ने समाज को दो भागों में बाँट दिया। एक पूँजीपति, दूसरे मजदूर। समाज के रहन-सहन में परिवर्तन दिखे। जीवन की आवश्यकताएँ बढ़ने लगी। रोगों की रोकथाम हुई। लोग साबुन से नहाने लगे तथा सूती कपड़ों का धोना आसान हुआ।

4. राजनीतिक प्रभाव

औद्योगिक क्रान्ति ने राज्य में पूँजीपतियों के प्रभाव को बढ़ाया। उन्होंने धन का लालच देकर वोट लिये। पार्लियामेण्ट में पूँजीपतियों की संख्या बढ़ गई। कॉमन सभा का प्रभाव भी बढ़ा। उद्योग-धन्धों के विकास से बहुत-सा सामान तैयार होने लगा। इसे खपाने के लिए नये-नये बाजारों की तलाश हुई।

5. धन की वृद्धि

औद्योगिक क्रान्ति के कारण धन की वृद्धि हुई।

6. वस्तुओं का सस्ता होना

कारखानों में सस्ता माल तैयार होने लगा, जिससे वस्तुओं की कीमत सस्ती हो गई।

7. देहाती जीवन में परिवर्तन

गाँव के लोग नगरों में आने लगे। अब वे नगरों में बसने लगे। समृद्धि के मध्य निर्धनता को देखा गया। देहाती जीवन में परिवर्तन हुआ।

8. विश्व व्यापार का विकास

कच्चा माल विदेशों से लाया जाने लगा। तैयार माल विदेशों में भेजा जाने लगा। औद्योगिक क्रान्ति अन्य देशों में फैलने लगी।

9. राष्ट्रीयता में विकास

औद्योगिक क्रान्ति के कारण इंग्लैण्ड के लोगों में राष्ट्रीयता का विकास हुआ।

10. वाटरलू की विजय खानों और कारखानों में

इंग्लैण्ड के बढ़ते हुए धन वैभव ने उसे अचानक धक्के से बचा लिया, जो उसे अमेरिकन क्रान्ति ने लगाया था। फ्रांस ने अमेरिका का साथ दिया था। अब वहाँ क्रान्ति ने और नेपोलियन के युद्धों ने उसे समाप्त किया। नेपोलियन को पराजित करने में जितना नेल्सन और वेलिंगटन का हाथ था उतना ही आर्क राइट और वाह के प्रयत्नों का। वाटरलू की लड़ाई ईटोन के मैदानों के अलावा अन्य स्थानों पर भी जीती गई। यह विजय उन खानों और कारखानों में प्राप्त की गई, जिनके द्वारा नेपोलियन परास्त किया गया।

The premier library of general studies, current affairs, educational news with also competitive examination related syllabus.

Related Posts

# इतिहास शिक्षण के शिक्षण सूत्र (Itihas Shikshan ke Shikshan Sutra)

शिक्षण कला में दक्षता प्राप्त करने के लिए विषयवस्तु के विस्तृत ज्ञान के साथ-साथ शिक्षण सिद्धान्तों का ज्ञान होना आवश्यक है। शिक्षण सिद्धान्तों के समुचित उपयोग के…

# छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंश | Chhattisgarh Ke Kshetriya Rajvansh

छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय/स्थानीय राजवंश : आधुनिक छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में दक्षिण कोसल के शासकों का नाम…

# भारतीय संविधान की प्रस्तावना | Bhartiya Samvidhan ki Prastavana

भारतीय संविधान की प्रस्तावना : प्रस्तावना, भारतीय संविधान की भूमिका की भाँति है, जिसमें संविधान के आदर्शो, उद्देश्यों, सरकार के संविधान के स्त्रोत से संबधित प्रावधान और…

# वैष्णव धर्म : छत्तीसगढ़ इतिहास | Vaishnavism in Chhattisgarh in Hindi

छत्तीसगढ़ में वैष्णव धर्म : छत्तीसगढ़ में वैष्णव धर्म के प्राचीन प्रमाण ईसा की पहली और दूसरी सदी में पाए जाते हैं। बिलासपुर के मल्हार नामक स्थान…

# छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पृष्ठभुमि | Cultural background of Chhattisgarh in Hindi

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पृष्ठभुमि/धरोहर : लगभगग 700 वर्षों (ई. 6वीं सदी से 14वीं सदी) का काल छत्तीसगढ़ के इतिहास का एक ऐसा चरण रहा है, जब इस…

# छत्तीसगढ़ में शैव धर्म का प्रभाव | Influence of Shaivism in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में शैव धर्म का प्रभाव : छत्तीसगढ़ क्षेत्र आदिकाल से ही सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपरा का प्रमुख केंद्र रहा है। शैव धर्म छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक प्राचीन…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

11 + two =