# पर्यावरण के निर्माण हेतु क्रियाकलाप (पर्यावरण संरक्षण के उपाय)

पर्यावरण के निर्माण हेतु क्रियाकलाप :- वर्तमान समय में पर्यावरण को समझने उसे संतुलित एवं जन उपयोगी बनाने हेतु मनुष्य को अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। इसी से हमें जीवन की गुणवत्ता प्राप्त हो सकती है। हमें निम्न दिशाओं में अपने क्रियाकलाप (उपाय) करने होंगे :- 1. पर्यावरण संरक्षण प्रकृति में मानवकृत पर्यावरण की स्थिति जो … Read more

# राजनीतिक समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं | Rajnitik Samajshastra

राजनीतिक समाजशास्त्र समाजशास्त्र का ही एक प्रमुख शाखा है। इसका अस्तित्व समाज में धीरे-धीरे आया और लोगों की इसके प्रति भी रूचि बढ़ी है। प्रायः ये समाज में पहले से ही विद्यमान था परन्तु इसे समझने व पढ़ने का काम देर से शुरू हुआ। राजनीतिक समाजशास्त्र समाज के प्रत्येक क्षेत्र में विद्यमान है। बस हमें … Read more

# समाजशास्त्र की प्रकृति (Samajshastra Ki Prakriti)

जहाँ तक समाजशास्त्र की प्रकृति का प्रश्न है – इस बात पर चर्चा करने से पहले यह जानना आवश्यक है कि विज्ञान के मूलभूत सिद्धान्त व लक्षण क्या हैं? क्या इन मूलभूत लक्षणों को आधार मानकर समाजशास्त्र को विज्ञान का दर्जा दिया जा सकता है या नहीं। जहाँ तक विज्ञान का प्रश्न है विज्ञान का … Read more

# एम. सी. मेहता बनाम तमिलनाडु राज्य वाद

एम. सी. मेहता बनाम तमिलनाडु राज्य वाद : एम. सी. मेहता बनाम तमिलनाडु राज्य वाद में प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता श्री एम. सी. मेहता ने लोकहित बाद द्वारा शिव काशी उद्योग (तमिलनाडु राज्य) में कार्य कर रहे बालकों की दयनीय स्थिति का प्रश्न न्यायालय के समक्ष रखा एवं प्रार्थना किया कि न्यायालय बालकों के … Read more

# ए. आर. अन्तुले बनाम आर. एस. नाइक वाद

ए.आर. अन्तुले बनाम आर. एस. नाइक वाद : ए. आर. अन्तुले बनाम आर. एस. नाइक वाद अधिकारों एवं निदेशक सिद्धान्तों में विहित न्याय की संकल्पना से जुड़ा है। इस वाद में न्यायालय ने अधिकारों का विस्तार करते हुए आपराधिक मामलों में त्वरित न्याय पर निर्णय दिया, न्यायालय के अनुसार – “आपराधिक मामलों में आरोपित व्यक्ति … Read more

# रंजन द्विवेदी बनाम भारत संघ वाद

रंजन द्विवेदी बनाम भारत संघ वाद : रंजन द्विवेदी बनाम भारत संघ वाद से पूर्व के वर्षों में निदेशक तत्वों को श्रेष्ठता या सर्वोच्चता न्यायालय द्वारा मात्र इस आधार पर नहीं दी गई कि ये वाद-योग्य (Justiciable) नहीं हैं परन्तु हाल के वर्षों में इस स्थिति में व्यापक अन्तर देखा जा सकता है। न्यायालय ने … Read more