समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र में संबंध :
समाजशास्त्र एवं राजनीतिशास्त्र के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है। कुछ समय पूर्व तक राज्य और समाज में कोई भेद नहीं किया जाता था और इसी कारण समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र एक ही विषय के अन्तर्गत आते थे। 18 वीं एवं 19 वीं शताब्दी में राज्य और समाज में अन्तर किया जाने लगा तथा राज्य का अध्ययन राजनीतिशास्त्र के द्वारा और समाज, परिवार, धर्म एवं कानून, आदि का अध्ययन समाजशास्त्र के द्वारा किया जाने लगा।
राजनीतिशास्त्र की रूचि, प्रमुखतः सत्ता (Power) के अध्ययन में है। इस शास्त्र के द्वारा राज्य तथा राजकीय प्रशासन के अध्ययन पर विशेष जोर दिया जाता है। राजनीतिशास्त्र संगठित मानव सम्बन्धों (राजनीतिक सम्बन्धों) का अध्ययन करता है और ये सम्बन्ध सामाजिक सम्बन्धों का ही एक अंग है।
गिडिंग्स ने लिखा है कि प्रत्येक राजनीतिशास्त्री, समाजशास्त्री और प्रत्येक समाजशास्त्री राजनीतिशास्त्री होता है। समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र में काफी आदान-प्रदान होता है। राजनीतिशास्त्र मनुष्य को एक राजनीतिक प्राणी मानता है, परन्तु वह राजनीतिक प्राणी क्यों और कैसे बना, यह जानकारी समाजशास्त्र ही प्रदान करता है। वर्तमान में समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों एवं पद्धतियों का राजनीतिशास्त्र में काफी प्रयोग होने लगा है।
वास्तव में राजनीति व्यवहार को समझने के लिए, उदाहरण के रूप में मतदान-प्रतिमान या मतदान-व्यवहार को जानने के लिए सामाजिक तथ्यों, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं जैसे, जाति प्रणाली, संयुक्त परिवार प्रणाली, वर्ग-भेद, स्त्रियों की स्थिति, आदि के सम्बन्ध में जानकारी आवश्यक है। प्रामाणिक आधार पर यह जानकारी हमें समाजशास्त्र से ही मिल सकती है। सामाजिक व्यवस्था और संगठन पर राज्य के कार्यों का काफी प्रभाव पड़ता है। राज्य के द्वारा पारित कानून प्रथाओं, रूढ़ियों, संस्थाओं और मूल्यों को काफी प्रभावित करते हैं। हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 तथा अनेक अन्य अधिनियमों ने सामाजिक जीवन और लोगों के व्यवहार को अनेक रूपों में प्रभावित किया है।
समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र में अन्तर :
समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते है.-
- समाजशास्त्र समाज के सभी पक्षों का अध्ययन करता है जबकि राजनीतिशास्त्र अपने को औपचारिक संगठनो में व्याप्त सत्ता (Power) के अध्ययन तक सीमित रखता है।
- समाजशास्त्र विभिन्न संस्थाओं जिनमें सरकार (Government) भी शामिल है, के परस्पर संबंध पर जोर देता है जबकि राजनीतिशास्त्र सरकार के भीतर चलने वाली प्रक्रियाओं पर।
- समाजशास्त्र सभी प्रकार के सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है जबकि राजनीतिशास्त्र सामाजिक सम्बन्धों के एक भाग-संगठित सम्बन्धों, विशेषतः राजनीतिक सम्बन्धों का अध्ययन कर है।
- समाजशास्त्र एक सामान्य विज्ञान है जबकि राजनीतिशास्त्र एक विशेष विज्ञान है।
- समाजशास्त्र सामाजिक नियन्त्रण के औपचारिक एवं अनौपचाधिक सभी प्रकार के साधनों के अध्ययन में जबकि राजनीतिशास्त्र उन औपचारिक साधनों के अध्ययन में जिन्हें राज्य की अभिमति प्राप्त है, जैसे कानून में रूचि रखता है।
- समाजशास्त्र में सामाजिक सर्वेक्षण पद्धति. वैयक्तिक जीवन अध्ययन पद्धति, अवलोकन और साक्षात्कार पद्धति, समाजमिति, आदि का प्रयोग किया जाता है जबकि राजनीतिशास्त्र में आगमन और निगमन पद्धतियों (inductive and Deductive Metheds) का प्रयोग किया जाता है। अब राजनीतिशास्त्र भी समाजशास्त्र में प्रयुक्त पद्धतियों को काम मे लेने लगा है।
- समाज का विकास राज्य के पहले हुआ और इस दृष्टि से समाजशास्त्र राजनीतिशास्त्र की तुलना में अधिक प्राचीन है। इतना अवश्य है कि समाजशास्त्र का एक विज्ञान के रूप में विधिवत् अध्ययन राजनीतिशास्त्र के बाद में शुरू हुआ।
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