# छत्तीसगढ़ का आधुनिक इतिहास (मराठा शासन) | Chhattisgarh me maratha shasan

छत्तीसगढ़ में मराठा शासन :

छत्तीसगढ़ का आधुनिक इतिहास छत्तीसगढ़ में मराठा आक्रमण एवं कल्चुरियों के पतन के साथ ही आरम्भ होता है। पतन के कगार पर पहुँच चुके हैहयवंश के शासन का लाभ उठाकर नागपुर के भोंसले सेनापाति भास्कर पंत ने 1741 ई. में लगभग तीस हजार सैनिकों के साथ तत्कालीन रतनपुर के कल्चुरी शासक रघुनाथ सिंह पर आक्रमण किया तथा इस क्षेत्र को विजिय कर रघुनाथ सिंह को ही अपने अधीन शासन प्रतिनिधि नियुक्त किया।

1745 ई. में रघुनाथ सिंह की मृत्यु के तत्पश्चात मोहन सिंह (1742-1745) को रतनपुर राज्य का नया शासक नियुक्त किया गया। जब उसकी मृत्यु हुई तब भोंसला शासक ने वहाँ अपना प्रत्यक्ष शासन स्थापित किया, जिसके अनुसार रघुजी प्रथम का पुत्र बिम्बाजी भोंसले वहाँ का प्रथम मराठा शासक हुआ।

इसी प्रकार रायपुर शाखा के हैहयवंशी शासक अमर सिंह को भी शासन से पृथक्‌ कर भोंसले साम्राज्य में मिला लिया।

छत्तीसगढ़ को भोंसले ने अपने प्रत्यक्ष नियंत्रण में ले लिया और सम्पूर्ण सत्ता बिम्बाजी को सौप दी गई। एक योग्य कुशल तथा लोक कल्याणकारी शासक के रूप में बिम्बाजी ने स्थानीय जनता के हृदय पर राज किया। उन्होंने शासन व्यवस्था में सुधारों का प्रयास किया था। न्याय सुविधाओं हेतु उनके द्वारा रतनपुर नियमित न्यायालय की स्थापना की गई एवम् राजस्व की स्थिति को व्यवस्थित किया गया। उन्होंने राजस्व संबंधी लेखा तैयार करने की मराठा पद्धति को आरंभ किया। वे यहां परगना पद्धति के सूत्रधार थे।

1787 ई. में बिम्बाजी की मृत्यु के पश्चात्‌ व्यंकोजी ने छत्तीसगढ़ की बागडोर संभाली। इसके शासनकाल में नागपुर ही समस्त राजनैतिक क्रियाकलापों एवं प्रशासनिक गतिविधियों का केन्द्र बना रहा, व्यंकोजी ने छत्तीसगढ़ में सूबेदारों के माध्यम से शासन चलाने की नवीन प्रथा का सूत्रपात किया। सूबा शासन एक सर्वथा असफल एवं बोझिल प्रणाली थी | इस काल में शोषण, अराजकता, कृषि का पतन और अव्यवस्था अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचे।

1816 में रघुजी द्वितीय की मृत्यु के बाद सत्ता संघर्ष में अप्पा साहब व अंग्रेजो की कूटनीति से अप्पा साहब शासक बने, किंतु 1818 में अंग्रेजो ने इसके स्थान पर अल्पव्यस्क रघुजी तृतीय को गद्दी पर बिठाया एवम् ब्रिटिश अधीक्षकों के द्वारा शासन व्यवस्था संचालित किया। 31 मई 1818 को रेजीडेन्ट जेनकिंस ने नागपुर राज्य में व्यवस्था हेतु ब्रिटिश नीति की घोषणा की थी, जिसके अंतर्गत रघुजी तृतीय के व्यस्क होने तक नागपुर राज्य का शासन अपने हाथ में लिया था, इस घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ का शासन ब्रिटिश नियंत्रण में चला गया था।

छत्तीसगढ़ में पुनः भोंसले शासन

1818 ई. की सन्धि के अनुसार, रघुजी तृतीय के वयस्क होते ही ब्रिटिश नियन्त्रण समाप्त होना था, जिसका पालन 6 जून, 1830 को किया गया। इसके पूर्व 13 दिसम्बर, 1826 को एक नवीन सन्धि के अन्तर्गत प्रयोग के तौर पर केवल नागपुर जिले का शासन संचालन रघुजी तृतीय को सौंपा गया था।

इसके साथ ही तत्कालीन स्थिति के अनुसार, अंग्रेजों को सैन्य सुरक्षा की दृष्टि से भोंसलों से अधिकाधिक सहयोग की आवश्यकता थी। तदनुसार नागपुर के रेजीडेण्ट ‘विल्डर’ के समय 27 दिसम्बर 1829 को पुनः अंग्रेज-भोंसले सन्धि हुई, जिसकी निर्धारित शर्तों के आधार पर शेष राज्य भी भोंसले शासक के सुपुर्द कर दिया गया था। इस सन्धि को 15 जनवरी, 1830 को गवर्नर-जनरल बैंटिक ने स्वीकृत किया था। इस सन्धि के अनुसार 6 जून, 1830 को कैप्टन क्राफर्ड द्वारा भोंसले प्रतिनिधि कृष्णाराव अप्पा को छत्तीसगढ़ का शासन सौंप दिया गया था। इस अधिकारी को पूर्व के सूबेदार के स्थान पर जिलेदार कहा गया।

भोंसले (मराठा) राज्य का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय :

11 दिसम्बर, 1853 को नागपुर के अन्तिम शासक रघुजी तृतीय की मृत्यु हो गई और इसके साथ ही नागपुर राज्य का राजनीतिक गौरव समाप्त हो गया था। इस घटना के बाद ब्रिटिश रेजीडेण्ट मेंसल ने राज्य का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया।

चूंकि राजा का कोई सन्तान नहीं था। अतः कुछ समय बाद 13 मार्च, 1854 को नागपुर राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में विलय करने की घोषणा की गई। इस घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ भी ब्रिटिश अधीनता में चला गया। रेजीडेण्ट मि. मेंसल को नागपुर राज्य का प्रथम कमिश्नर बनाया गया तथा मि. इलियट ब्रिटिश अधीनता में छत्तीसगढ़ के प्रथम अधीक्षक नियुक्त हुए।.

The premier library of general studies, current affairs, educational news with also competitive examination related syllabus.

Related Posts

# इतिहास शिक्षण के शिक्षण सूत्र (Itihas Shikshan ke Shikshan Sutra)

शिक्षण कला में दक्षता प्राप्त करने के लिए विषयवस्तु के विस्तृत ज्ञान के साथ-साथ शिक्षण सिद्धान्तों का ज्ञान होना आवश्यक है। शिक्षण सिद्धान्तों के समुचित उपयोग के…

# छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्र | Scheduled Areas of Chhattisgarh State in Hindi

भारतीय संविधान के 5वीं और 6वीं अनुसूची में उल्लेखित क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र कहा जाता हैं। पांचवीं अनुसूची में कुल 10 राज्य छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश,…

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक गाथा, कथाएं एवं लोक नाट्य | Folk Tales And Folk Drama of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति में सृष्टि के रहस्यों से लेकर प्राचीन तत्त्वों एवं भावनाओं के दर्शन होते रहे हैं। अलौकिकता, रहस्य, रोमांच इसकी रोचकता को बढ़ाते हैं।…

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक गीत | Chhattisgarh Ke Lok Geet

छत्तीसगढ़ी लोक गीत : किसी क्षेत्र विशेष में लोक संस्कृति के विकास हेतु लोकगीत/लोकगीतों का प्रमुख योगदान होता है। इन गीतों का कोई लिपिबद्ध संग्रह नहीं होता,…

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य | Chhattisgarh Ke Lok Nritya

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य : लोक नृत्य छत्तीसगढ़ के निवासियों की अपनी जातीय परंपरा एवं संस्कृति का परिचायक है। छत्तीसगढ़ के अनेक लोकगीतों में से कुछ…

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख वाद्य यंत्र | Chhattisgarh Ke Vadya Yantra

छत्तीसगढ़ी लोक वाद्य यंत्र : यदि वाद्यों की उत्पत्ति को कल्पित भी माना जाए तो भी यह स्वीकार करना ही होगा कि प्रकृति के अंग-अंग में वाद्यों…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twelve − eleven =