# कल्चुरि वंश की रतनपुर शाखा | Ratanpur Shakha Kalchuri Vansh

रतनपुर शाखा : कल्चुरि वंश :

वामराजदेव त्रिपुरी के कल्चुरि राज्य का संस्थापक था, किंतु स्थायी रूप से राजधानी स्थापित करने का श्रेय कोकल्लदेव प्रथम (875 – 900 ई.) को दिया जाता है। त्रिपुरी के कल्चुरियों ने लगभग नौवीं शताब्दी के अंत तक छत्तीसगढ़ (दक्षिण कोसल) में अपनी सत्ता स्थापित करने में सफल रहे।

कोकल्लदेव के पुत्र शंकरगण ने बाणवंशीय नरेश विक्रमादित्य को पराजित कर पाली क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित किया और अपने भाई को इस क्षेत्र का मंडलाधिपति बना दिया। 950 ई. के लगभग सोमवंशियों ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित करने की कोशिश की, तब त्रिपुरी के तत्कालीन कल्चुरि नरेश लक्ष्मणराज ने अपने पुत्र कलिंगराज को भेजा। कलिंगराज ने इस क्षेत्र पर पुनः अपना नियंत्रण स्थापित कर तुम्माण में जाकर बस गया और तुम्माण को राजधानी बनाया। इस प्रकार कलिंगराज ने छत्तीसगढ़ में कल्चुरि राजवंश की वास्तविक सत्ता स्थापित की।.

कलिंगराज का उत्तराधिकारी उसका पुत्र कमलराज लगभग 1020 ई. में शासक बना। कमलराज का उत्तराधिकारी रत्नदेव प्रथम हुआ, इसने रत्नपुर नामक नगर की स्थापना की तथा अपनी राजधानी वहां स्थानांतरित की। रत्नपुर (वर्तमान रतनपुर) के नाम पर कलचुरियों की दक्षिण कोसल की इस शाखा को इतिहासकारों द्वारा रतनपुर के कल्चुरि के नाम से संबोधित किया जाता है।.

कल्चुरी वंश के शासक –

  • कलिंगराज़ (संस्थापक) – (1000-1020 ई.)
  • कमलराज – (1020-1045 ई.)
  • रत्नदेव – (1045-1065 ई.)
  • पृथ्वीदेव प्रथम – (1065-1095 ई.)
  • जाजल्लदेव प्रथम – (1095-1120 ई.)
  • रत्नदेव द्वितीय – (1120-1135 ई.)
  • पृथ्वीदेव द्वितीय – (1135-1165 ई.)
  • जाजल्लदेव द्वितीय – (1165-1168 ई.)
  • जगतदेव – (1168-1178 ई.)
  • रत्नदेव तृतीय – (1178-1198 ई.)
  • प्रतापमल्ल – (1198-1222 ई.)

प्रतापमल्ल के पश्चात लगभग 200 से 250 साल के बीच के कल्चुरि शासकों का उल्लेख इतिहासकारों द्वारा नहीं किया गया है, इस अलिखित समय को कलचुरि शासन काल का अंधकारयुग कहा जाता है।.

इसके बाद के शासक –

  • बाहरेन्द्र साय – (1480-1535 ई.)
  • कल्याण साय – (1544-1581 ई.)
  • लक्ष्मण साय
  • तखत सिंह
  • राज सिंह – (1746 ई.)
  • सरदार सिंह – (1712-1732 ई.)
  • रघुनाथ सिंह – (1732-1741 ई.)
  • मोहन सिंह – (1742-1745 ई.)

छत्तीसगढ़ में रतनपुर शाखा के अंतर्गत स्वतंत्र अंतिम कल्चुरी शासक रघुनाथ सिंह (1732-1741) और मराठों के अधीन अंतिम कल्चुरि शासक मोहन सिंह (1742-1745) था। सन् 1741 में मराठा भोंसला सेनापति भास्कर पंत ने छत्तीसगढ़ में आक्रमण कर कल्चुरि वंश की सत्ता समाप्त कर दी।

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