# वर्ग-संघर्ष के सिद्धान्त : कार्ल मार्क्स | Karl Marx ke Varg Sangharsh ka Siddhant

वर्ग-संघर्ष के सिद्धान्त : मार्क्स ने समाज में पाये जाने वाले वर्गभेद को अपनी विवेचना का प्रमुख आधार माना है। सच तो यह है कि उसके द्वारा प्रतिपादित ऐतिहासिक, भौतिकवाद और द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धान्त वर्ग व वर्ग-संघर्ष की धारणा पर ही आधारित हैं। वर्ग-संघर्ष की अवधारणा मार्क्स के महत्वपूर्ण विचारों में एक है। मार्क्स … Read more

# वर्ग-संघर्ष के कारक/कारण : कार्ल मार्क्स | Factors/Causes of Class Struggle

वर्ग-संघर्ष (Class Struggle) : वर्ग-संघर्ष की अवधारणा मार्क्स के महत्वपूर्ण विचारों में एक है। मार्क्स ने वर्ग-संघर्ष की अवधारणा ऑगस्टिन थोरे से ली थी, किन्तु इसकी पूर्ण विवेचना मार्क्स ने ही की। मार्क्स यह मानते हैं कि इतिहास के प्रत्येक युग और प्रत्येक समाज में सदैव दो विरोधी वर्ग रहे हैं- शोषक और शोषित वर्ग … Read more

# समाजशास्त्रीय सिद्धान्त : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं (Sociological Theory)

समाजशास्त्रीय सिद्धान्त : प्रत्येक विषय वैज्ञानिक अनुसन्धान द्वारा अपनी विषय-वस्तु से सम्बन्धित तथ्यों को यथार्थ रूप में समझने का प्रयास करता है तथा इन तथ्यों को परस्पर सम्बन्धित करके सार्वभौमिक नियमों या सिद्धान्तों का निर्माण करने का प्रयास करता है। समाजशास्त्र भी इसमें कोई अपवाद नहीं है। समाजशास्त्रीय सिद्धान्त समाज, सामाजिक सम्बन्धों तथा सामाजिक व्यवहार … Read more

# वैज्ञानिक पद्धति/अनुसन्धान/शोध : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, प्रमुख चरण (Vaigyanik Paddhati)

वैज्ञानिक पद्धति/अनुसन्धान/शोध का अर्थ : वैज्ञानिक अनुसन्धान से तात्पर्य अनुसन्धानकारी के पक्षपात रहित ऐसे अध्ययन से है जो भावना, दर्शन या तत्व ज्ञान से सम्बन्धित न होकर वस्तुनिष्ठ, अवलोकन, परीक्षण, प्रयोग और वर्गीकरण की एक व्यवस्थित कार्य-प्रणाली पर आधारित होता है। वैज्ञानिक पद्धति/शोध की परिभाषा : श्री लुण्डबर्ग के मतानुसार, “समाज विज्ञानियों में यह विश्वास … Read more

# सत्याग्रह का क्या अर्थ है? सत्याग्रह पर महात्मा गांधी के क्या विचार थे?

समाज को एक नवीन दिशा की ओर प्रेरित करने वाले महात्मा गाँधी की गिनती उन विशिष्ट सामाजिक चिन्तकों में की जाती है, जिन्होंने समाज की सामाजिक समस्याओं को समाप्त करने हेतु परम्परागत रूप से चले आ रहे ढंग को अस्वीकार करके समस्या निराकरण हेतु नवीन प्रयोग करने को महत्व दिया। समाज से अत्याचार, अनाचार, शोषण … Read more

# मूल्यों का समाजशास्त्र (मूल्यों की अवधारणा) : डॉ. राधाकमल मुकर्जी | Mulyon Ka Samajshastra

मूल्यों का समाजशास्त्र : डॉ. राधाकमल मुकर्जी अपने मूल्य सिद्धान्त के कारण भारत में ही नहीं अपितु संसार के समाजशास्त्रियों में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए हैं। बोगार्ड्स ने इसीलिए डॉ. राधाकमल मुकर्जी को पूर्वी देशों का समाजशास्त्री और सामाजिक-दार्शनिक कहकर सम्बोधित किया है। डॉ. राधाकमल मुकर्जी ने अपनी विचारधारा में पौरवात्य और पाश्चात्य विचारधारा … Read more