# वैज्ञानिक पद्धति/अनुसन्धान/शोध : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, प्रमुख चरण (Vaigyanik Paddhati)

वैज्ञानिक पद्धति/अनुसन्धान/शोध का अर्थ : वैज्ञानिक अनुसन्धान से तात्पर्य अनुसन्धानकारी के पक्षपात रहित ऐसे अध्ययन से है जो भावना, दर्शन या तत्व ज्ञान से सम्बन्धित न होकर वस्तुनिष्ठ, अवलोकन, परीक्षण, प्रयोग और वर्गीकरण की एक व्यवस्थित कार्य-प्रणाली पर आधारित होता है। वैज्ञानिक पद्धति/शोध की परिभाषा : श्री लुण्डबर्ग के मतानुसार, “समाज विज्ञानियों में यह विश्वास … Read more

# सत्याग्रह का क्या अर्थ है? सत्याग्रह पर महात्मा गांधी के क्या विचार थे?

समाज को एक नवीन दिशा की ओर प्रेरित करने वाले महात्मा गाँधी की गिनती उन विशिष्ट सामाजिक चिन्तकों में की जाती है, जिन्होंने समाज की सामाजिक समस्याओं को समाप्त करने हेतु परम्परागत रूप से चले आ रहे ढंग को अस्वीकार करके समस्या निराकरण हेतु नवीन प्रयोग करने को महत्व दिया। समाज से अत्याचार, अनाचार, शोषण … Read more

# मूल्यों का समाजशास्त्र (मूल्यों की अवधारणा) : डॉ. राधाकमल मुकर्जी | Mulyon Ka Samajshastra

मूल्यों का समाजशास्त्र : डॉ. राधाकमल मुकर्जी अपने मूल्य सिद्धान्त के कारण भारत में ही नहीं अपितु संसार के समाजशास्त्रियों में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए हैं। बोगार्ड्स ने इसीलिए डॉ. राधाकमल मुकर्जी को पूर्वी देशों का समाजशास्त्री और सामाजिक-दार्शनिक कहकर सम्बोधित किया है। डॉ. राधाकमल मुकर्जी ने अपनी विचारधारा में पौरवात्य और पाश्चात्य विचारधारा … Read more

# वेब्लेन के विलासी वर्ग का सिद्धान्त, विशेषताएं, परिणाम (Vilasi Varg ka Siddhant)

विलासी वर्ग से तात्पर्य : जिनके पास जीवन निर्वाह से अधिक धन होता है और वह उस धन को रचनात्मक कार्यों में न लगाकर दिखावे की भावना से प्रेरित होकर बहुमूल्य वस्तु खरीदते हैं, सामाजिक प्रतिष्ठा को बनाये रखने के लिये अपने पैसे का प्रदर्शन और दिखावटी जीवन में अत्यधिक धन व्यय करते हैं। अधिकांशतः … Read more

# सामाजिक उद्विकास (डार्विनवाद) का सिद्धान्त | Theory of Social Evolution (Darwinism)

सन् 1850 में हरबर्ट स्पेन्सर की प्रथम पुस्तक ‘सोशल स्टेटिक्स‘ (Social Statics) प्रकाशित हुई जिसमें सामाजिक उद्विकास के विचारों का प्रतिपादन किया गया। इसके पश्चात् सन् 1858 में स्पेन्सर ने ‘सिन्थेटिक फिलोसफी‘ (Synthetic Philosophy) नामक एक योजना प्रकाशित की, इसमें उन्होंने उद्विकास की सार्वभौमिकता को महत्व प्रदान किया। सर्वप्रथम चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) ने अपनी … Read more

# डॉ. राधा कमल मुखर्जी का सामाजिक मूल्य सिद्धांत | सामाजिक मूल्य की परिभाषा, प्रकृति/विशेषताएं, उद्भव, सोपान या संस्तरण, अवमूल्य

सामाजिक मूल्यों का सिद्धान्त : समाजशास्त्रीय विचारधारा के क्षेत्र में डॉ. राधा कमल मुखर्जी ने अपने सामाजिक मूल्यों के सिद्धान्त का प्रतिपादन करके समाजशास्त्रीय जगत में महान ख्याति प्राप्त की है, सामान्यतः मूल्यों के सम्बन्ध में मुखर्जी ने प्रायः अपनी सभी कृतियों में कुछ न कुछ उल्लेख किया है। वास्तव में इन्होंने अपने सामाजिक मूल्य … Read more