# समाजशास्त्र तथा मानवशास्त्र में संबंध व अन्तर | Difference in Sociology and Anthropology

समाजशास्त्र तथा मानवशास्त्र में संबंध : सामाजिक मानवशास्त्र और समाजशास्त्र एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। सम्बन्धों की इसी घनिष्ठता के कारण इनमें कोई स्पष्ट विभाजक रेखा खींचना सम्भव नहीं है। इवान्स प्रियार्ड की मान्यता है कि सामाजिक मानवशास्त्र को समाजशास्त्रीय अध्ययनों की एक शाखा माना जा सकता है, वह शाखा जो प्रमुखतः अपने … Read more

# व्यावहारिक समाजशास्त्र : अर्थ, परिभाषा, उपयोगिता एवं महत्व (Vyavaharik Samajshastra)

व्यावहारिक समाजशास्त्र : व्यावहारिक समाजशास्त्र के समर्थक समाजशास्त्र में व्यावहारिक शोध करने पर बल देते हैं, व्यावहारिक शोध ज्ञान प्राप्ति से सम्बन्धित न होकर प्राप्त ज्ञान को व्यावहारिक जीवन में लागू करने पर बल देता है। यह सामाजिक व्यवहार को समझने तथा सामाजिक व्याधिकीय अथवा विघटनकारी समस्याओं को समझने से सम्बन्धित होता है अर्थात्‌ इसका … Read more

# समाजशास्त्र का महत्व, उपयोगिता | Samajshastra ka Mahatva, Upyogita

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज और व्यक्ति के पारस्परिक सम्बन्धों का विवेचन अनेक दृष्टिकोणों से विभिन्न विद्वानों ने किया है, इन सब ने विज्ञान के एक ही तथ्य पर एकमत किया हैं कि समाज के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं है और मनुष्य के बिना समाज का आधार ही नहीं है। समाजशास्त्र पहला … Read more

# वैज्ञानिक भावना से तात्पर्य, प्रमुख विशेषताएं (Main Features of Scientific Spirit)

अनुसन्धान कार्य में केवल विषय से सम्बन्धित ज्ञान व सामग्री का ही महत्वपूर्ण स्थान नहीं है। जब तक एक वैज्ञानिक की वैज्ञानिक पद्धति के प्रति कोई रुचि न हो, तब तक वह अनुसन्धान कार्य में कोई सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। विज्ञान के प्रति रुचि रखने की तथा वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार खोज करने की … Read more

# विज्ञान का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं (Meaning, Definition and Characteristics of Science)

मानव एक जिज्ञासु प्राणी है। वह अपने चारों तरफ दिन-प्रतिदिन घटने वाली घटनाओं के प्रति जागरूक रहता है और इन घटनाओं में सत्य को खोजने का प्रयत्न करता है। उदाहरण के रूप में चाहे ये घटनाएं चुनाव से सम्बन्धित ही सरकार के काम-काज, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय विभिन्न पहलुओं पर आधारित हो या फिर उसके व्यक्तिगत … Read more

# क्षेत्रीय-अध्ययन/कार्य : विशेषताएं, अनिवार्यताएं, प्रमुख चरण, लाभ एवं सीमाएं (Kshetriya Adhyayan)

क्षेत्रीय-अध्ययन/कार्य : क्षेत्रीय-अध्ययन अथवा क्षेत्रीय कार्य एक ऐसी अनुसन्धान प्रणाली है, जिसके द्वारा प्राकृतिक रूप से घटनाक्रमों के घटित होने वाली की समयावधि में ही सामाजिक व्यवहार और अन्तः क्रिया और सामाजिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। इस अनुसन्धान प्रणाली में चरों के नियन्त्रण पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। इस प्रकार … Read more