# वी. वी. उत्तरवार बनाम महाराष्ट्र राज्य वाद

वी. वी. उत्तरवार बनाम महाराष्ट्र राज्य वाद : वी. वी. उत्तरवार वाद व्यक्तिगत अधिकारों के साथ-साथ सामाजिक न्याय एवं अधिकारों के महत्व को रखने एवं समाजवादी प्रवृत्ति पर बल देने से सम्बन्धित है। संविधान भाग-3 में उल्लिखित मौलिक अधिकारों के साथ-साथ, भाग-4 में निहित निदेशक सिद्धान्तों को देश के शासन में आधारभूत सिद्धान्त मानता है। … Read more

# सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य वाद

सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य वाद : सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य वाद में संविधान संशोधन व मूल अधिकारों की स्थिति का प्रश्न विचारार्थ आया। यह वाद, मौलिक अधिकारों के सम्बन्ध में, इस दृष्टि कोण से भी महत्वपूर्ण है कि इसके द्वारा “शंकरी प्रसाद वाद” में निर्णीत स्थिति को पुनः विचारार्थ रखने का प्रयास किया … Read more

# मेनका गांधी बनाम भारत संघ वाद

मेनका गांधी बनाम भारत संघ वाद : मौलिक अधिकारों की श्रेष्ठता के साथ नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्त को विकसित करने के क्षेत्र में ‘मेनका गांधी बनाम भारत संघ‘ वाद प्रमुख है। विधि और प्रक्रिया दोनों को उचित और युक्तियुक्त रखने के संदर्भ में भी संवैधानिक विधि में यह वाद प्रमुख स्थान रखता है । मौलिक … Read more

# गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य वाद

गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य वाद : न्यायिक दृष्टिकोण के इतिहास में मौलिक अधिकारों की श्रेष्ठता स्थापित करने में “गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य” वाद एक मील पत्थर है। मौलिक अधिकारों में संशोधन के सम्बन्ध में इस मामले से पूर्व शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ तथा सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य वाद में संशोधनों की विधि मान्यता … Read more

# शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ वाद

शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ वाद : मौलिक अधिकारों की श्रेष्ठता के प्रश्न पर न्यायिक दृष्टिकोण अनेक मामलों में परिलक्षित हुआ है। भारतीय संवैधानिक विधि में, मौलिक अधिकारों की प्रकृति, संशोधन के विषय में दृष्टिकोण जीवन्त विषय हैं। गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य, 1967 से पूर्व संविधान के भाग-3 में उल्लिखित मौलिक अधिकारों के संशोधन के … Read more

# चम्पाकम दोराइराजन बनाम मद्रास राज्य वाद

चम्पाकम दोराइराजन बनाम मद्रास राज्य वाद : चम्पाकम दोराई राजन बनाम मद्रास राज्य वाद संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार के अनु० -15 (4) जिसके द्वारा सामाजिक और शैक्षिणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए विशेष उपबंध किये जाने की व्यवस्था करता है, से सम्बन्धित है। भारतीय लोक तन्त्र की संवैधानिक व्यवस्था का आधारभूत तत्व … Read more