# भंगाराम देवी : भादो जातरा उत्सव | देवी-देवताओं की जन-अदालत : केशकाल (बस्तर) | Bhangaram Devi Jatara Utsav

भंगाराम देवी की भादो जातरा उत्सव एवं जन-अदालत : सदियों से अपनी हर समस्या के लिए ग्राम देवताओं की चौखट पर मत्था टेकने वाली बस्तर की जनजातियाँ जन अपेक्षाओं की कसौटी पर खरे नहीं उतरने वाले देवी-देवताओं को भी दंडित करने का जज्बा रखते हैं। यह दंड आर्थिक जुर्माने, अस्थाई रूप से निलंबन या फिर … Read more

# भारतीय संविधान और अस्पृश्यता निवारण

भारतीय संविधान और अस्पृश्यता निवारण : किसी भी युग के निमित्त विधि मानवीय इच्छाओं की अभिव्यक्ति है। संवैधानिक विधि भी लोक वर्ग की आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति है, जो उन्हें उनके निमित्त राज्य व्यवस्था की रचना व उसका स्वरूप प्रस्तुत करती है। दूसरे शब्दों में संवैधानिक विधि किसी राष्ट्र के निमित्त एक मूल विधि है। यह … Read more

# अनुसूचित जाति का क्या मतलब है? | Anusuchit Jati Kise Kahte Hai?

भारतीय समाज में अनेक प्रकार की सामाजिक, आर्थिक, असमानताएँ प्राचीन काल से व्याप्त रही हैं, इनमें सर्वाधिक निम्नस्तरीय असमानताएँ वर्ण व्यवस्था पर आधारित रही है। हिन्दू समाज के जातीय ईकाइयों के सम्मिश्रण में जो सबसे नीचे है वे ही, हरिजन या अनुसूचित जाति या परंपरागत रूप से अत्यज या अस्पृश्य कहलाते हैं, साथ ही हिन्दू … Read more

# मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा-पत्र | Universal Declaration of Human Rights in Hindi

मानवीय अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा : द्वितीय विश्व युद्ध के काल में मानव अधिकारों पर जो कुठाराघात किया गया था, उसे देखकर राजनीतिक नेताओं द्वारा मिलकर यह विचार किया गया कि अब भविष्य में मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए। 1945 में गठित ‘संयुक्त राष्ट्र संघ‘ द्वारा मानवीय अधिकारों की … Read more

# सम्प्रभुता (राजसत्ता) की परिभाषाएं, लक्षण/विशेषताएं, विभिन्न प्रकार एवं आलोचनाएं

सम्प्रभुता (प्रभुता/राजसत्ता) राज्य के आवश्यक तत्वों में से एक महत्वपूर्ण तत्व है। इसके बिना हम उसे राज्य नहीं कह सकते। भले ही उसमें जनसंख्या, भूमि और सरकार तीनों तत्व पाये जाते हैं। सम्प्रभुता दो प्रकार की होती है – (1) आन्तरिक, और (2) बाहरी। आन्तरिक सम्प्रभुता राज्य के अन्दर रहने वाले सभी व्यक्ति तथा संस्थाओं … Read more

# भारत में समाजशास्त्र की उत्पत्ति (उद्भव) एवं विकास | Origin and Development of Sociology in India

समाजशास्त्र एक नवीन सामाजिक विज्ञान है जो समाज का समग्र रूप से वैज्ञानिक अध्ययन करता है। समाज का अस्तित्व मानव के अस्तित्व के साथ जुड़ा हुआ है, क्योंकि जब से मानव की उत्पत्ति हुई है, तभी से समाज का जन्म हुआ है और समाज के विषय में अध्ययन मानव चिन्तन के साथ ही प्रारम्भ हो … Read more