# औद्योगिक क्रान्ति की प्रमुख विशेषताएं | Characteristics of Industrial Revolution | Audyogik Kranti ki Visheshata

औद्योगिक क्रान्ति की प्रमुख विशेषताएं :

औद्योगिक क्रान्ति से यूरोप एवं विश्व के अन्य देशों में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। इस क्रान्ति से उत्पादन के साधनों, विधियों, मात्राओं एवं गुणों में अत्यधिक परिवर्तन हुआ। जिससे व्यक्तियों, समाजों एवं राष्ट्रों के जीवन स्तर, रहन-सहन, खान-पान एवं विचारों में परिवर्तन हुआ। सामान्यतः उत्पादन के साधनों, विधियों मात्राओं में हुए परिवर्तनों को औद्योगिक क्रान्ति की विशेषता माना जा सकता है।

एल. सी. ए. नोल्स (L.C.A. Knowles) के अनुसार औद्योगिक क्रान्ति में लगभग छह बड़े परिवर्तन हुए हैं जो एक-दूसरे पर आधारित हैं। यह परिवर्तन ही औद्योगिक क्रान्ति की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

1. इन्जीनियरिंग का विकास

औद्योगिक क्रान्ति से उत्पादन की विधियों एवं मात्राओं में वृद्धि के लिए मशीनों एवं यन्त्रों का उपयोग अत्यधिक होने लगा। इसके लिए अनेक आविष्कार हुए जिससे उपयोगी एवं मजबूत मशीनों एवं यन्त्रों का निर्माण हुआ। औद्योगिक क्रान्ति से इन्जीनियरिंग के क्षेत्र में व्यक्तियों का झुकाव अधिक हुआ। इसके लिए व्यक्तियों में ज्ञान-विज्ञान का विकास हुआ और इसके लिए प्रशिक्षित हुए। उद्योगों के विकास के लिए प्रशिक्षित एवं योग्य इन्जीनियरों का महत्व बहुत बढ़ गया जिनके माध्यम से ही मशीनों एवं यन्त्रों का संचालन एवं विकास सुचारू रूप से किया जा सका।

2. लोहा एवं इस्पात उत्पादन में क्रान्ति

प्राचीन काल से लोहा का प्रयोग होता रहा है लेकिन औद्योगिक क्रान्ति से मशीनों एवं अन्य सहायक उपकरणों के लिए लोहे को पिघलाकर एवं शुद्ध करके इस्पात का निर्माण अधिक मात्रा में होने लगा। इस्पात लोहे की अपेक्षा हल्का, मजबूत, लचकदार एवं जंग प्रतिरोधक होता था।

अतः यन्त्रों एवं मशीनों के लिए कच्चे लोहा को शुद्ध करके लोहा एवं इस्पात का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा। इस क्षेत्र में अत्यधिक सुधार हुआ। इस प्रकार लौह एवं इस्पात उद्योग में उत्पादन की मात्रा एवं गुण में अत्यधिक विकास हुआ।

3. भाप शक्ति का प्रयोग

औद्योगिक क्रान्ति की एक प्रमुख विशेषता भाप की शक्ति से मशीनों का संचालन करना है। भाप की शक्ति से मशीनों का संचालन करना एक महान् एवं क्रान्तिकारी कदम था जिससे उद्योगों का विकास अत्यन्त तीव्र गति से हुआ। सबसे पहले सूती वस्त्र उद्योग में भाप की शक्ति का प्रयोग किया गया लेकिन बाद में ऊनी, रेशमी एवं अन्य उद्योगों में इसका प्रयोग किया जाने लगा। भाप की शक्ति का प्रयोग ऐसा क्रान्तिकारी प्रयोग था जिसने उद्योग जगत् की काया पलट दी।

4. रासायनिक उद्योगों का विकास

औद्योगिक क्रान्ति का सबसे प्रमुख और पहला क्षेत्र वस्त्र उद्योग था। अतः वस्त्र उद्योग के विकास के लिए कपड़ों को रँगने एवं छपाई पर विशेष ध्यान दिया गया। इस क्षेत्र में अनेक वैज्ञानिक आविष्कार हुए जिससे रासायनिक क्रियाओं में पर्याप्त सुधार हुआ। वस्त्रों की रँगाई और छपाई बहुत कम समय में, उत्तम श्रेणी में और स्वच्छता के साथ होने लगी।

5. कोयला उद्योग का विकास

औद्योगिक क्रान्ति में कोयला शक्ति का अत्यन्त महत्वपूर्ण साधन था। कोयला के कारण ही उद्योगों का विकास तीव्रता से हुआ था। अतः कोयले के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अनेक आविष्कार किए गए जिसमें कोयले की नये-नये खानों का पता लगाने, कोयले को खानों से निकालने, खान खोदने और खानों से पानी को निकालने के लिए नई विधियों का आविष्कार एवं प्रयोग किया गया जिससे कोयले के उत्पादन के व्यय में कमी आयी और उसकी उत्पादन क्षमता में अत्यधिक विकास हुआ।

6. यातायात के साधनों में परिवर्तन

उद्योगों के लिए कच्चे मालों की आपूर्ति, मशीनों के स्थानान्तरण, वस्तुओं के विक्रय के लिए एवं यातायात के आवागमन के लिए साधनों की अत्यन्त आवश्यकता थी। अतः इस क्षेत्र में समुद्री जहाजों, नहरों एवं सड़कों के सुधार एवं विकास के लिए अनेक प्रकार के आविष्कार और कार्य किये गये। भाप की शक्ति के आविष्कार के बाद भाप की शक्ति से रेलवे इंजन चलाए गए। इसी सन्दर्भ में रेलवे लाइनों का भी जाल बिछाया गया। इसी प्रकार पेट्रोल को शक्ति के साधन के रूप में प्रयोग किया गया जिससे वायुयान एवं बड़े-बड़े वाहन चलाए गए। औद्योगिक क्रान्ति के लिए यातायात में अनेक बड़े सुधार किये गये जिससे विश्व के विभिन्न देशों के मध्य व्यापार में अत्यधिक विकास हो सका।

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