# समाजशास्त्र और इतिहास में संबंध एवं अंतर | Relations in Sociology and History

समाजशास्त्र और इतिहास में संबंध व अंतर :

इतिहास अतीत की घटनाओं का क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित ज्ञान है, यह भूतकाल की घटनाओं का वर्णन कर कार्य-कारण संबंधों की विवेचना करता है, यह विभिन्न युगों की सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक जीवन का अध्ययन है।

इतिहास भूतकाल की विशिष्ट घटनाओं का वर्णन करता है, उन घटनाओं के कार्य-कारण सम्बन्धों की विवेचना करता है, भूतकाल के सम्बन्ध में ज्ञान के अभाव में न तो हम वर्तमान को भली-भांति समझ सकते हैं और न ही भविष्य को। इतिहास उस समर्थ-क्रम (Time-Sequence) का पता लगाने का प्रयत्न करता है जिसमें विभिन्न घटनाएँ घटित हुई। इतिहास के द्वारा प्रारम्भ से लेकर अभी तक के समय के मानव के जीवन की प्रमुख घटनाओं का चित्रण किया जाता है। इस दृष्टि से इतिहास अतीत या भूतकाल की घटनाओं का क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित अध्ययन है। समाजशास्त्र अतीत की पृष्ठभूमि, वर्तमान समाज का अध्ययन है।

समाजशास्त्र ऐतिहासिक अध्ययनों से प्राप्त सामग्री के आधार पर वर्तमान युग के सामाजिक अध्ययनों से प्राप्त सामग्री के आधार पर वर्तमान युग के सामाजिक जीवन को समझने का प्रयास करता है।

जॉन हावर्ड : “इतिहास भूतकालीन समाजशास्त्र है और समाजशास्त्र वर्तमान कालीन इतिहास।”

समाजशास्त्र और इतिहास में संबंध :

समाजशास्त्र और इतिहास घनिष्ट रूप से संबंधित हैं दोनों की विषयवस्तु में खास अंतर नहीं लेकिन दृष्टिकोण में अंतर है।

दोनों विषयों की समानता को निम्न बिन्दुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है।

  • दोनों सभ्यता और संस्कृति का अध्ययन करते हैं।
  • दोनों शास्त्रों में संघर्ष, क्रांति और युद्ध का अध्ययन किया जाता है। यद्यपि इतिहास इन्हें घटना के रूप में देखता है जबकि समाजशास्त्र सामाजिक प्रक्रिया के रूप में |
  • समाजशास्त्रीय अध्ययन में इतिहास द्वारा प्राप्त सामग्री और तथ्यों की सहायता ली जाती है। समाजशास्त्र में इतिहास के प्रभाव के फलस्वरूप ऐतिहासिक समाजशास्त्र का विकास हो पाया।

समाजशास्त्र और इतिहास में अंतर :

  • यद्यपि दोनों विषयों में घनिष्ट संबंध है उसके बावजूद भी पर्याप्त विभिन्नता पायी जाती है :
  • इतिहास विशेष विज्ञान है, जिसका संबंध ऐतिहासिक घटनाओं से है, समाजशास्त्र सामान्य विज्ञान है, जिसका संबंध सभी प्रकार के संबंधों से है।
  • इतिहास का संबंध भूतकाल से है जबकि समाजशास्त्र का वर्तमान से।
  • इतिहास मूर्त का जबकि समाजशास्त्र अमूर्त का अध्ययन है।
  • इतिहास विशिष्ठ घटनाओं का अध्ययन करता है जबकि समाजशास्त्र विभिन्न घटनाओं के आधार पर सामान्यीकरण करता है।
  • इतिहास में विवरणात्मक एवं ऐतिहासिक पद्धति का जबकि समाजशास्त्र मे वैज्ञानिक, विश्लेषणात्मक एवं तुलनात्मक पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है।
  • इतिहास की घटनाओं का परीक्षण एवं पुनर्परीक्षण नहीं हो सकता क्योंकि ये घटनाएँ सामान्यतः एक बार घटित होती हैं। समाजशास्त्र में निष्कर्षों का परीक्षण और पुनर्परीक्षण संभव है, इसी आधार पर इतिहास की अपेक्षा समाजशास्त्र को अधिक प्रामाणिक विज्ञान माना गया है।
The premier library of general studies, current affairs, educational news with also competitive examination related syllabus.

Related Posts

# सिद्धान्त निर्माण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, महत्व | सिद्धान्त निर्माण के प्रकार | Siddhant Nirman

Home / Sociology / Theory / # सिद्धान्त निर्माण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, महत्व | सिद्धान्त निर्माण के प्रकार | Siddhant Nirmanसिद्धान्त निर्माण : सिद्धान्त वैज्ञानिक अनुसन्धान…

# पैरेटो की सामाजिक क्रिया की अवधारणा | Social Action Theory of Vilfred Pareto

Home / Sociology / Theory / # पैरेटो की सामाजिक क्रिया की अवधारणा | Social Action Theory of Vilfred Paretoसामाजिक क्रिया सिद्धान्त प्रमुख रूप से एक प्रकार्यात्मक…

# सामाजिक एकता (सुदृढ़ता) या समैक्य का सिद्धान्त : दुर्खीम | Theory of Social Solidarity

Home / Sociology / Theory / # सामाजिक एकता (सुदृढ़ता) या समैक्य का सिद्धान्त : दुर्खीम | Theory of Social Solidarityदुर्खीम के सामाजिक एकता का सिद्धान्त :…

# पारसन्स के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त | Parsons’s Theory of Social Stratification

Home / Sociology / Theory / # पारसन्स के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त | Parsons’s Theory of Social Stratificationपारसन्स का सिद्धान्त (Theory of Parsons) : सामाजिक स्तरीकरण…

# मैक्स वेबर के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त | Maxweber’s Theory of Social Stratification

Home / Sociology / Theory / # मैक्स वेबर के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त | Maxweber’s Theory of Social Stratificationमैक्स वेबर के सामाजिक स्तरीकरण के सिद्धान्त :…

# कार्ल मार्क्स के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त | Karl Marx’s Theory of Social Stratification

Home / Sociology / Theory / # कार्ल मार्क्स के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त | Karl Marx’s Theory of Social Stratificationकार्ल मार्क्स के सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 × 2 =