करमा नृत्य : छत्तीसगढ़
करमा नृत्य बैगा जनजाति की प्रमुख लोकनृत्य है। इस नृत्य में बैगा अपने कर्म को नृत्य-गीत के माध्यम से प्रस्तुत करते है इसी कारण इस नृत्य-गीत को करमा कहा जाता है। करमा नृत्य विजयदशमी से वर्षा के प्रारंभ होने तक चलता है। इस नृत्य मे बैगा पुरुष बीच मे खड़े होकर वाद्ययंत्र बजाते है और महिलाएं गोल घेरे बनाकर एक दूसरे के कमर में हाथ डालकर घूम-घूम कर गीत गाते हुए नृत्य करते है एवं हाथ में ठिसकी (वाद्ययंत्र) होती है। इस नृत्य में स्त्री एवं पुरुष दोनों समूह में भाग लेते है।
गीत के अनुसार करमा नृत्य कई भागों में विभक्त है। जैसे करमा खड़ी, करमा खाप, करमा झूलनी, करमा लहकी आदि। करमा गीत के चारों प्रकारों में कोई विशेष अंतर नहीं है, केवल ताल और गीत के बोल में उतार चढ़ाव होता है। करमा नृत्य सामाजिक एवं धार्मिक स्वरूप से जुड़ा हुआ है, किन्तु ये मनोरंजन के रूप में अधिक नाचते गाते है। बैगा युवक-युवतियाँ टोली बनाकर एक दूसरे के गाँव जाकर करमा नृत्य करते है। वर्तमान समय में बैगा समूह जब नृत्य करने जाते है तो एक दूसरे का अतिथियों जैसे स्वागत सत्कार किया जाता है। यह नृत्य लगभग रात भर होता है। शाम को नृत्य दल गाँव में प्रवेश करते है। भोजन व्यवस्था गाँव वाले करते है और रात भर मांदर एवं अन्य वाद्ययंत्र के धुन के साथ नृत्य करते है। सभी प्रकार के करमा में नृत्य करने की शैली एक सी ही होती है सिर्फ गीत गाने में अंतर होता है, गीत के लय के उतार चढ़ाव के साथ ही ताल मिलाकर नृत्य किया जाता है।
करमा के गीत कुछ इस प्रकार है –
खड़ी करमा :
झूरा-झूरी पान मांगे जाये कैसे सोसी पड़े
पाने मंगावत सीता गारी खवाये
अंगना मा बैठकी मन मा विचार कैसे सोसी पड़े
कौन तोरे लानय कारे पान सरै पान
कौन तोरे लाने बीड़ा पान, कैसे सोसी पड़े।
करमा खाप :
ये मदरी के मान राख दे पारदेसी माये ये मदरी के रे।
कठवा भयगय गोहूँ रोटी जुड़ भयगय दार।
ये सेवरो के मना ला उतार पारदेसी माये ये मदरी के रे।”
करमा झुलकी :
खाले घाट कुमारी ला छेकवं ढीमर,
जाल फेकओं डढ़वारे मछली काहे बाज गए।
खरहाडीह मुकदम सौंपवों, मुसवा ला दीवाने,
कोतरी ला सोपवं कोटवारी डढ़वारे मछरी काहे.
बाज गए मोहरिया ला इजर सोपवं बीमी दाने दार,
रोहू ला तो स्पेक्टर बनायवं कतला तहसीलदार,
डढवारे मछली कोहे बाज गए।”
करमा लहकी :
तेज डारे बाई सुरता ला तेज डारे रे,
अंगरी के छुटकी रुन झुना बाजे,
जबय मांदर बाजे तब सुरता लागे,
तेज डारे सुरता परान ला तेज डारे ….
इस प्रकार अलग-अलग गीतों के माध्यम से करमा नृत्य करते है। उपरोक्त करमा गीत कर्म रूपी देवी को समर्पित होता है। अधिकांश गीतों के अर्थ मनोरंजन के लिए प्रेमी-प्रेमिका को समर्पित करते है। इनके गीतों में युवक-युवतियों द्वारा किये जाने वाले घर, जंगल, एवं खेतों के कार्यों के बारे में भी उल्लेख मिलता है।