झरपट नृत्य : छत्तीसगढ़
झरपट नृत्य में स्त्री एवं पुरुष आमने सामने होकर पंक्तियों में नृत्य करते है। यह एक समूह नृत्य होता है। नर्तक दल के हाथों में ठिसकी (वाद्ययंत्र) होती है। झरपट नृत्य के गीत में सवाल जवाब होता है। महिला एवं पुरुष दल एक दूसरे को निरंतर निरुत्तर करने की कोशिश करते है।
झरपट नृत्य की गति गीत के बोल के साथ तेज होती जाती है। ‘झरपट‘ का अर्थ छेड़-छाड़ होता है। यह नृत्य बैगा जनजाति की प्रमुख लोकनृत्य है। करमा के बाद अक्सर यह नृत्य किया जाता है। यह नृत्य लगभग रातभर चलती है।
झरपट के गीत इस प्रकार होते है –
झैंला-झैलो यारी के मुनगा उखाटी।
झैंय जाय रे बारी के मुनगा उखारी।।
झैंय जाय रे ।
बारी के मुनगा उखारी झैंय जारे।
मोरे दगा छैयला बिछडी, झैंय जारे।”
झरपट के गीत में युवक द्वारा युवतियों को और युवतियों द्वारा युवकों को चिढ़ाने जैसे गीत के बोल होते है, इनमें एक दूसरे को छेड़ा जाता है।.