# परम्परागत राजनीति विज्ञान की विशेषताएं | Features of Traditional Political Science

परम्परागत राजनीति विज्ञान की विशेषताएँ :

परम्परागत राजनीति विज्ञान कल्पना और दर्शन पर आधारित है। यह अपने प्रतिपादक राजनीतिक दार्शनिक एवं चिन्तकों के व्यक्तित्व एवं दृष्टिकोण से प्रभावित रहा है। उन्होंने मानवीय चिन्तन में सामाजिक लक्ष्यों तथा मूल्यों की ओर ध्यान दिया है। आधुनिक युग में परम्परागत राजनीति विज्ञान के प्रबल समर्थकों की काफी संख्या है, जिनमें रूसो, काण्ट, हीगल, टी0एच0 ग्रीन, बोसांके, लास्की, ओकशॉट, लीलॉक, लियो स्ट्रॉस इत्यादि प्रमुख हैं।

परम्परागत राजनीति विज्ञान की प्रमुख विशेषतायें निम्नवत् स्पष्ट की जा सकती हैं-

1.) ‘राज्य’ की प्रधानता एवं राज्य को एक नैतिक सामाजिक अनिवार्य संस्था माना है। फलतः उद्देश्य आदर्श राज्य की खोज के साथ ही इसके लिए अत्यधिक हटधर्मिता रही।

2.) कल्पनात्मक, आदर्शों का अध्ययन एवं दर्शनशास्त्र से घनिष्ठता।

3.) अध्ययन प्रतिपादक राजनीतिक दार्शनिकों एवं चिन्तकों के व्यक्तित्व से प्रभावित, फलतः व्यक्तिनिष्ठ अध्ययन।

4.) अपरिष्कृत परम्परागत अध्ययन पद्धतियों (ऐतिहासिक) दार्शनिक का प्रयोग, फलतः वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग नहीं किया गया।

5.) अध्ययन में नैतिकता और राजनीतिक मूल्यों पर विशेष बल दिया गया है।

6.) यह प्रधानतः संकुचित अध्ययन है क्योंकि इसमें सिर्फ पाश्चात्य राज्यों की शासन व्यवस्था पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। एशिया, अफ्रीका एवं लैटिन अमेरिका आदि की राजनीतिक व्यवस्थाओं के अध्ययन को महत्व नहीं दिया गया है।

Read More —> आधुनिक राजनीति विज्ञान की विशेषताएं

The premier library of general studies, current affairs, educational news with also competitive examination related syllabus.

Related Posts

# भारतीय संविधान में किए गए संशोधन | Bhartiya Samvidhan Sanshodhan

भारतीय संविधान में किए गए संशोधन : संविधान के भाग 20 (अनुच्छेद 368); भारतीय संविधान में बदलती परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार संशोधन करने की शक्ति संसद…

# भारतीय संविधान की प्रस्तावना | Bhartiya Samvidhan ki Prastavana

भारतीय संविधान की प्रस्तावना : प्रस्तावना, भारतीय संविधान की भूमिका की भाँति है, जिसमें संविधान के आदर्शो, उद्देश्यों, सरकार के संविधान के स्त्रोत से संबधित प्रावधान और…

# अन्तर्वस्तु-विश्लेषण प्रक्रिया के प्रमुख चरण (Steps in the Content Analysis Process)

अन्तर्वस्तु-विश्लेषण संचार की प्रत्यक्ष सामग्री के विश्लेषण से सम्बन्धित अनुसंधान की एक प्रविधि है। दूसरे शब्दों में, संचार माध्यम द्वारा जो कहा जाता है उसका विश्लेषण इस…

# अन्तर्वस्तु-विश्लेषण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, उद्देश्य, उपयोगिता एवं महत्व (Content Analysis)

अन्तर्वस्तु-विश्लेषण संचार की प्रत्यक्ष सामग्री के विश्लेषण से सम्बन्धित अनुसंधान की एक प्रविधि है। दूसरे शब्दों में, संचार माध्यम द्वारा जो कहा जाता है उसका विश्लेषण इस…

# हॉब्स के सामाजिक समझौता सिद्धांत (Samajik Samjhouta Ka Siddhant)

सामाजिक समझौता सिद्धान्त : राज्य की उत्पत्ति सम्बन्धी सिद्धान्तों में सामाजिक समझौता सिद्धान्त सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में इस सिद्धान्त…

# राज्य के कार्यक्षेत्र की सीमाएं (limits of state jurisdiction)

राज्य के कार्यक्षेत्र की सीमाएं : राज्य को उसके कार्यक्षेत्र की दृष्टि से अनेक भागों में वर्गीकृत किया गया है। राज्य के कार्य उसकी प्रकृति के अनुसार…

This Post Has 2 Comments

  1. sir please pura topic cover k upar notes dijiye.. baki aur v to topic hai iske sath.. wo v dijiye plz

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

20 − 7 =