समाजशास्त्र तथा मानवशास्त्र में संबंध :
सामाजिक मानवशास्त्र और समाजशास्त्र एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। सम्बन्धों की इसी घनिष्ठता के कारण इनमें कोई स्पष्ट विभाजक रेखा खींचना सम्भव नहीं है। इवान्स प्रियार्ड की मान्यता है कि सामाजिक मानवशास्त्र को समाजशास्त्रीय अध्ययनों की एक शाखा माना जा सकता है, वह शाखा जो प्रमुखतः अपने को आदिम समाजों के अध्ययन में लगाती है। जब लोग समाजशास्त्र शब्द का प्रयोग करते हैं तो साधारणतया उनके मस्तिष्क में सभ्य समाजों की विशिष्ट समस्याओं के अध्ययन होते हैं।
क्रोवर ने समाजशास्त्र और मानवशास्त्र के बीच पाये जाने वाले घनिष्ठ सम्बन्धों के आधार पर ही इन्हें जुड़वां बहिनें माना है।
हॉबल के अनुसार विस्तृत अर्थों में समाजशास्त्र और सामाजिक मानवशास्त्र एक ही हैं, समान हैं।
दोनों ही विज्ञानों के द्वारा समाजों का अध्ययन किया जाता है।सामाजिक मानवशास्त्र के द्वारा विशेषतः आदिम समाजों (Primitive Societies) का अध्ययन किया जाता है जबकि समाजशास्त्र के द्वारा आधुनिक जटिल सभ्य समाजों का। सामाजिक मानवशास्त्र में समाजों का उनकी सम्पूर्णता में अध्ययन किया जाता है। सामाजिक मानवशास्त्री आदिम लोगों की अर्थव्यवस्था का उनके परिवार और नातेदारी संगठनों का, उनकी प्रौद्योगिकी (Technology) तथा कलाओं का सामाजिक व्यवस्थाओं के भागों के रूप में अध्ययन करता है। दूसरी ओर समाजशास्त्री पृथक-पृथक समस्याओं का जैसे विवाह-विच्छेद, वैश्यावृत्ति, अपराध, श्रमिक–असन्तोष, आदि का अध्ययन करता है।
सामाजिक मानवशास्त्री सरल और छोटे आदिम समाजों का अध्ययन कर समाजशास्त्री को आधुनिक जटिल सभ्य में सहायता पहुँचाता है।
समाजशास्त्र और मानवशास्त्र में अंतर :
इनमें विषय-क्षेत्र की दृष्टि से अन्तर पाया जाता है। मानवशास्त्र प्रमुखतः आदिम समाजों का अध्ययन करता है जबकि समाजशास्त्र सभ्य समाजों का।
इन दोनों में पद्धति सम्बन्धी अन्तर भी पाया जाता है। मानवशास्त्र में प्रमुखतः सहभागिक अवलोकन पद्धति (Participant Observation Method) का प्रयोग किया जाता है। मानवशास्त्री को जिस आदिम समुदाय का अध्ययन करना होता है, वह उसमें जाकर बस जाता है, साल दो साल उसी समुदाय में रहता है और प्रत्यक्ष अवलोकन द्वारा उस समुदाय के लोगों का गहन अध्ययन करता है। दूसरी ओर समाजशास्त्री को निदर्शन (Sampling) का समस्या का सामना करना पड़ता है, उसे अनुसूची या प्रश्नावली, आदि बनाकर सूचनाएँ एकत्रित करनी पड़ती हैं तथा प्रलेखों एवं सांख्यिकीय पद्धति का सहारा लेना पड़ता है।
समाजशास्त्र के एक ओर सामाजिक दर्शन के साथ, तो दूसरी ओर नियोजन के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। इवान्स प्रिचार्ड ने लिखा है कि समाजशास्त्र केवल इस बात का पता लगाने की कोशिश ही नहीं करता है कि संस्थाएँ कैसे कार्य करती हैं बल्कि यह भी बतलाता है कि उन्हें कैसे कार्य करना चाहिए, कैसे परिवर्तित होना चाहिए, जबकि मानवशास्त्र अपने को इस प्रकार के विचारों से दूर रखता है।
इन दोनों विज्ञानों में एक अन्य अन्तर यह है कि मानवशास्त्र समाजों का उनके सम्पूर्ण रूप में या समग्रता में अध्ययन करता है, उनसे सम्बन्धित सभी पहलुओं के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करता है। समाजशास्त्र अक्सर किसी समाज के भागों (Parts) का अध्ययन करता है और सामान्यतः किसी संस्था विशेष या किसी प्रक्रिया, आदि में रूचि लेता है।
मानवशास्त्री अधिकतर छोटे आत्म-निर्भर समूह या समुदाय का जबकि समाजशास्त्री बड़े या व्यापक और अवैयक्तिक संगठनों तथा सामाजिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है।
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