# छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पृष्ठभुमि | Cultural background of Chhattisgarh in Hindi

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पृष्ठभुमि/धरोहर : लगभगग 700 वर्षों (ई. 6वीं सदी से 14वीं सदी) का काल छत्तीसगढ़ के इतिहास का एक ऐसा चरण रहा है, जब इस अंचल में अनेक राजवंशों ने शासन किया, यथा – शरभपुरीय, पाण्डुवंशी, नलवंश, नागवंश, राजर्षितुल्य कुल आदि राजवंशों ने अपने विविध भूमिकाएं प्रस्तुत की। इन राजवंशों द्वारा अपनी पृथक … Read more

# छत्तीसगढ़ में शैव धर्म का प्रभाव | Influence of Shaivism in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में शैव धर्म का प्रभाव : छत्तीसगढ़ क्षेत्र आदिकाल से ही सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपरा का प्रमुख केंद्र रहा है। शैव धर्म छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक प्राचीन धर्म माना जाता है। इस अंचल में शैव धर्म सर्वाधिक लोकप्रिय तथा व्यापक स्वरूप में दिखाई देता है। किसी भी धर्म को प्रगति प्रदान करने और जनप्रिय बनाने … Read more

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक चित्रकला (Chhattisgarh Ke Lok Chitrakala)

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक चित्रकला : छत्तीसगढ़ में लोक चित्रकला की एक समृद्ध परंपरा प्रचलित है। यहां अनेक प्रकार के चित्रांकन विभिन्न अवसरों या त्यौहारों पर किए जाते हैं। मुख्य रूप से यहां के लोक चित्रकला को दो भागों में बांटा जा सकता है – दीवारों की रंगाई पूर्वानुकूल चित्र # दीवारों की रंगाई छत्तीसगढ़ … Read more

# बाली परब पर्व : बस्तर | Bali Parab Parv/Tihar Bastar Chhattisgarh

बस्तर क्षेत्र के पारंपरिक पर्व : बाली परब बाली परब बस्तर अंचल के हल्बी-भतरी परिवेश में मनाया जाने वाला एक विशिष्ट कोटि का आँचलिक पर्व है। यह पर्व वर्षों बाद आता है और महिनों तक चलता है। पर्व स्थल पर आसपास के ही नहीं, अपितु दूर-दूर के वनवासी ‘बाली परब’ में सम्मिलित होते हैं। यह … Read more

# भंगाराम देवी : भादो जातरा उत्सव | देवी-देवताओं की जन-अदालत : केशकाल (बस्तर) | Bhangaram Devi Jatara Utsav

भंगाराम देवी की भादो जातरा उत्सव एवं जन-अदालत : सदियों से अपनी हर समस्या के लिए ग्राम देवताओं की चौखट पर मत्था टेकने वाली बस्तर की जनजातियाँ जन अपेक्षाओं की कसौटी पर खरे नहीं उतरने वाले देवी-देवताओं को भी दंडित करने का जज्बा रखते हैं। यह दंड आर्थिक जुर्माने, अस्थाई रूप से निलंबन या फिर … Read more

# लक्ष्मी जगार पर्व : बस्तर | Laxmi Jagaar Parv/Tihar : Bastar Chhattisgarh

बस्तर क्षेत्र के पारंपरिक पर्व : लक्ष्मी जगार लक्ष्मी जगार विभिन्न संस्कारों से आबद्ध अनुष्ठानिक पर्व है, जिसमें महिलाओं की विशेष भूमिका होती है साथ ही इस पर्व के आयोजन में पुरुष भी सहभागी होते हैं। यह आयोजन प्रायः धान फसल कटने के बाद शीत ऋृतु में किसी भी समय आरंभ होकर अधिकतम 11 दिनों … Read more