# छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश साम्राज्य का प्रभाव | British Empire In Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन :

लार्ड डलहौजी के द्वारा 13 मार्च 1854 को “हड़प नीति” के तहत नागपुर राज्य का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय की घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ पर अंग्रेजों का प्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण स्थापित हो गया, जो वर्ष 1947 तक बना रहा।

नागपुर राज्य के ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित होने पर छत्तीसगढ़ में प्रशासन के लिए एक अलग से डिप्टी कमिश्नर की नियुक्ति की गई। 1855 में अंतिम जिलेदार गोपालराव आनंद ने छत्तीसगढ़ का शासन ब्रिटिश प्रतिनिधि डिप्टी कमिश्नर चार्ल्स सी इलियट को सौंप दिया. इसका मुख्यालय रायपुर था, इस कार्यक्षेत्र के अंतर्गत बस्तर भी सम्मिलित था। सन्‌ 1856 में यह क्षेत्र तीन तहसीलों (रायपुर, धमतरी एवं बिलासपुर) में बंट गया, इन तीनों तहसीलों के अंतर्गत 12 परगनों का गठन किया गया।

विनिमय प्रणाली में एकरूपता लाते हुए 5 जुन 1855 के पश्चात्‌ नागपुरी रूपयों के स्थान पर कंपनी द्वारा जारी किए गए सिक्कों का प्रचलन प्रारंभ किया गया।

सन्‌ 1857 ई. में देशव्यापी अंग्रेज विरोधी आन्दोलन छत्तीसगढ़ में सोनाखान जमींदारी के युवा जमींदार नारायणसिंह के नेतृत्व में आरंभ हुआ। इस बीच अंग्रेजों के विरुद्ध देशव्यापी आंदोलन व विद्रोह होते रहे, जिनमें छत्तीसगढ़ के वीरों ने भी भाग लिया। स्वातंत्रोत्तर काल में देश में नवनिर्माण एवं देशी रियासतों के विलीनीकरण का युग प्रारम्भ हुआ।

अंग्रेजों ने मध्य क्षेत्रों के शासन संचालन को व्यवस्थित करने हेतु 2 नवम्बर 1861 को नर्मदा और सागर विभाग को, नागपुर विभाग में जोड़कर 18 जिलों का एक नया प्रांत बनाया गया जो कि मध्य प्रांत (सेन्ट्रल प्राविन्स) कहलाता था, जिसमें नागपुर क्षेत्र के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के रायपुर, बस्तर क्षेत्र भी सम्मिलित थे।

इसके अंतर्गत 1862 में छत्तीसगढ़ को संभाग का दर्जा दिया गया, जिसमें रायपुर, बिलासपुर व संबलपुर जिले बनाया गया।

सन् 1905 में बंगाल प्रांत एवं मध्य प्रान्त का पुनर्गठन किया गया जिससे मध्य प्रान्त की सीमाओं में परिवर्तन हुआ. बंगाल प्रांत से सरगुजा, उदयपुर, जशपुर, कोरिया, चांगभखार रियासतों का प्रशासन मध्यप्रांत को सौंपा गया, छत्तीसगढ़ संभाग के संबलपुर जिले के साथ बामड़ा, रेड़ाखोल, पटना, सोनपुर एवं कालाहाण्डी क्षेत्र बंगाल प्रांत में मिला दिया गया.

गोपालराव आनंद को बिलासपुर का तथा मोबिन उल हसन को रायपुर का अतिरिक्त सहायक कमिश्नर नियुक्त किया गया।

रायपुर, धमतरी, रतनपुर, धमधा और नवागढ़ को तहसील बनाया गया, इसका प्रमुख अधिकारी तहसीलदार होता था. तहसील से नीचे परगने होते थे, जिसका प्रमुख नायब तहसीलदार होता था।

प्रत्येक जिलें में पुलिस अधीक्षकों की नियुक्ति की गयी. रायपुर में केन्द्रीय जेल का निर्माण किया गया।

सम्पूर्ण क्षेत्र खालसा तथा जमींदारी में विभाजित था, खालसा भूमि मालगुजार के जबकि जमींदारी भूमि जमीदार के अधिकार में थी, गौंटिया को माजगुजार के नाम से जाना गया।

रायपुर में प्रथम डाकघर की स्थापना की गयी, स्मिथ को पोस्ट मास्टर नियुक्त किया गया. जिला स्तर पर दफेदार नियुक्त किये गये।

The premier library of general studies, current affairs, educational news with also competitive examination related syllabus.

Related Posts

# इतिहास शिक्षण के शिक्षण सूत्र (Itihas Shikshan ke Shikshan Sutra)

शिक्षण कला में दक्षता प्राप्त करने के लिए विषयवस्तु के विस्तृत ज्ञान के साथ-साथ शिक्षण सिद्धान्तों का ज्ञान होना आवश्यक है। शिक्षण सिद्धान्तों के समुचित उपयोग के…

# छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्र | Scheduled Areas of Chhattisgarh State in Hindi

भारतीय संविधान के 5वीं और 6वीं अनुसूची में उल्लेखित क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र कहा जाता हैं। पांचवीं अनुसूची में कुल 10 राज्य छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश,…

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक गाथा, कथाएं एवं लोक नाट्य | Folk Tales And Folk Drama of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति में सृष्टि के रहस्यों से लेकर प्राचीन तत्त्वों एवं भावनाओं के दर्शन होते रहे हैं। अलौकिकता, रहस्य, रोमांच इसकी रोचकता को बढ़ाते हैं।…

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक गीत | Chhattisgarh Ke Lok Geet

छत्तीसगढ़ी लोक गीत : किसी क्षेत्र विशेष में लोक संस्कृति के विकास हेतु लोकगीत/लोकगीतों का प्रमुख योगदान होता है। इन गीतों का कोई लिपिबद्ध संग्रह नहीं होता,…

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य | Chhattisgarh Ke Lok Nritya

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य : लोक नृत्य छत्तीसगढ़ के निवासियों की अपनी जातीय परंपरा एवं संस्कृति का परिचायक है। छत्तीसगढ़ के अनेक लोकगीतों में से कुछ…

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख वाद्य यंत्र | Chhattisgarh Ke Vadya Yantra

छत्तीसगढ़ी लोक वाद्य यंत्र : यदि वाद्यों की उत्पत्ति को कल्पित भी माना जाए तो भी यह स्वीकार करना ही होगा कि प्रकृति के अंग-अंग में वाद्यों…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen − 13 =