आधुनिक तकनीक और सभ्यता :
प्रौद्योगिकी ने आम आदमी को सशक्त बनाने में अहम् भूमिका निर्वाह की है। देशों में प्रजातन्त्र लाने में इस प्रौद्योगिकी का बड़ा योगदान है। शिकार योग्य और खाद्यान्न बटोरने के युग से वर्तमान में चाँद और मंगल ग्रह पर पहुँचने तक की सभ्यता का बदलाव प्रौद्योगिकी पर निर्भर है। खेती की प्रौद्योगिकी का वर्तमान स्वरूप बदल चुका है। प्रौद्योगिकी विकास की प्रक्रिया में संघर्ष और समन्वय दोनों सम्मिलित हैं, पर दोनों ही स्थितियों में संघर्ष निहित है। साधनों के उपयोग की प्रविधि प्रौद्योगिकी के साथ बदलती जाती है। इससे समाज में, उत्पादन के सम्बन्ध बदल जाते हैं।
प्रौद्योगिकी का उपयोग मनुष्य के विवेक पर निर्भर है। प्रौद्योगिकी अपने आप में सभ्यता का निर्माण करने में असमर्थ है। वह केवल अस्त्र प्रदान करती है उसका उपयोग व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि वह अस्त्र का उपयोग समाज के लिए हित कर रहा है या अहित के लिए। परमाणु तकनीक के द्वारा शक्ति प्राप्त की जा सकती है, ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है, विकास किया जा सकता है और देशों और सभ्यता का विकास हो सकता है, मंगल ग्रह पर पहुँचा जा सकता है, कृषि क्रान्ति की जा सकती है, पर करोड़ों लोगों को अपंग, असहाय और विकृत बनाया जा सकता है और लाखों लोगों को काल के गाल में भेजा जा सकता है। आम आदमी को सशक्त बनाया जा सकता है और उपनिवेश भी कायम किया जा सकता है। भौतिक दूरियाँ घटाई जा सकती हैं और दिलों की दूरियाँ बढ़ाई भी जा सकती हैं।
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