प्रौद्योगिकी और मानव समाज (सभ्यता) :
मानव समाज की जीवन शैली पर अलग-अलग युगों में तत्कालीन प्रौद्योगिकी का प्रभाव रहा है। प्रौद्योगिकी ने समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों को भी प्रभावित किया है। मानव समाज में प्रचलित संयुक्त परिवार प्रणाली, विवाह की भिन्न-भिन्न पद्धतियाँ, बहुविवाह प्रथा के स्थान पर एक पत्नी वाली सभ्यता, सम्पत्ति में समान अधिकार, स्त्रियों को बराबरी का दर्जा, परिवार का आकार जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों से प्रौद्योगिकी का बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। प्रौद्योगिकी ने व्यापार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण क्रान्ति की है। इस प्रकार व्यापारिक और औद्योगिक क्रान्ति ने सभ्यता को बदलने में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
मानवीय सोच एवं चिन्तन प्रौद्योगिकी के द्वारा अधिक प्रभावित होता है। प्रौद्योगिकी को किसी काम को करने और किसी ढंग से रहने की तकनीक के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यही कारण है कि प्रौद्योगिकी का प्रभाव मानव समाज पर पड़ता है तथा मानव समाज की तत्कालीन विशेषताएँ समाज का निर्माण करती हैं।
निष्कर्षतः यह कह सकते हैं कि प्रौद्योगिकी मानव समाज के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी। यह मनुष्य के विवेक पर निर्भर करता है कि वह इन विकल्पों में से किसे चुनता है। इसमें जहाँ एक ओर अनेक विकास का मार्ग हैं तो दूसरी ओर कमजोर पहलू भी हैं। जो मनुष्य की नादानी के कारण सामने आते हैं, जैसे- पर्यावरण प्रदूषण। आधुनिक तकनीकी सभ्यता वर्तमान प्रौद्योगिकी के ऊपर निर्भर करती है और इसकी भविष्य बहुत कुछ इसकी सन्तुलित वृद्धि पर निर्भर करता है। यदि मनुष्य ने इस सन्तुलन को भंग किया तो विनाश निश्चित है, अन्यथा विकास के अपार द्वार खुले हुए हैं।
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