राजनीति विज्ञान के परंपरागत और आधुनिक दृष्टिकोण में अंतर :
आधुनिक युग में अध्ययन के लिए सम्पूर्ण राजनीति विज्ञान को दो भागों में बाँटा गया है –
- 1. परम्परागत राजनीति विज्ञान
- 2. आधुनिक राजनीति विज्ञान
जब हम राजनीति विज्ञान का अध्ययन परम्परागत मान्यताओं के संदर्भ में करते हैं, तो इसे परम्परागत राजनीति विज्ञान कहा जाता है किन्तु जब हम राजनीति विज्ञान का अध्ययन आधुनिक मान्यताओं के संदर्भ में करते हैं तो इसे आधुनिक राजनीति विज्ञान कहा जाता है।
एन्ड्रयू हेकर के शब्दों में ‘‘परम्परागत राजनीति विज्ञान मुख्य रूप से मानकात्मक (Normative) है, इसलिए इसका प्रतिपादक राजनीति दार्शनिक जैसा लगता है, आधुनिक राजनीति विज्ञान मुख्य तौर से व्यवहारपरक या अनुभवाश्रित (Empirical) है और इसलिए इसका प्रतिपादक राजनीतिक वैज्ञानिक जैसा लगता है।’’
संक्षेप में परम्परागत और आधुनिक राजनीति विज्ञान में मुख्य रूप से निम्नलिखित अंतर हैं-
1. परिभाषा संबंधी अन्तर
परम्परावादी विचारक राजनीति विज्ञान को राज्य एवं सरकार के अध्ययन का विज्ञान मानते हैं। गार्नर के अनुसार ‘‘राजनीति विज्ञान का आरम्भ और अन्त राज्य से होता है।’’
इसके विपरीत आधुनिक व्यवहारवादी विचारक राजनीति विज्ञान की विषय वस्तु राज्य के बजाय मनुष्य के राजनीतिक व्यवहार को मानते हैं। वे राजनीति विज्ञान को शक्ति और सत्ता का विज्ञान मानते हैं। लाॅसवेल और केपलन के शब्दों में, ‘‘राजनीति विज्ञान एक व्यवहारवादी विषय के रूप में शक्ति को सँवारने तथा मिल बाँट कर प्रयोग करने का अध्ययन है।’’ विलियम राॅक्सन लिखते हैं कि ‘‘राजनीति की मुख्य दिलचस्पी का विषय बहुत ही स्पष्ट है, यह शक्ति प्राप्त करने, उसे बनाये रखने, उसका प्रयोग करने, उससे दूसरों को प्रभावित करने, अथवा दूसरे के प्रभाव को रोकने के संघर्षों पर केन्द्रित रहती है।’’
2. विषय क्षेत्र संबंधी अन्तर
परम्परावादी तथा आधुनिक राजनीति विज्ञान के क्षेत्रों के संबंध में भी अन्तर है। परम्परावादी राजनीति विज्ञान में राज्य के भूत, वर्तमान तथा भविष्य का, शासन के अंग, शासन के रूप तथा शासन के कार्यों का अध्ययन किया जाता है। परम्परावादी इन सबका संस्थागत अध्ययन करते हैं।
दूसरी ओर आधुनिक व्यवहारवादी राजनीतिशास्त्री संस्थाओं का नहीं बल्कि प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं और ऐसे अध्ययन में वे विधायिका या संसद के ढांचे का अध्ययन करने की अपेक्षा इस बात का अध्ययन करना अधिक पसन्द करते हैं कि विधि कौन बनाता है? विधि निर्माण का निर्णय कौन लेता है तथा विधि निर्माण की वास्तविक प्रक्रिया क्या है?
3. प्रकृति के सम्बंध में अन्तर
राजनीति विज्ञान की प्रकृति के संबंध में भी परम्परावादी और आधुनिक राजनीति विज्ञान में भेद है। परम्परावादी राजनीतिक विचारकों में कुछ विचारक ऐसे हैं जो राजनीति विज्ञान को विज्ञान की श्रेणी में नहीं रखते। बक्ल का विचार था ‘‘ज्ञान की वर्तमान अवस्था में राजनीति को विज्ञान मानना तो दूर, वह कलाओं में भी सबसे पिछड़ी कला है।’’
इसके विपरीत आधुनिक राजनीति वैज्ञानिक राजनीति विज्ञान को पूर्ण विज्ञान मानने के पक्ष में हैं। मेरियम ने अपनी रचनाओं में इस बात पर जोर दिया कि राजनीति विज्ञान में वैज्ञानिक तकनीक और प्रविधियों का विकास समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। कैटलिन तथा हेरल्ड लावेल जैसे विद्वान यह सिद्ध करने हेतु प्रयत्नशील रहे हैं कि राजनीति शास्त्र मूलतः एक विज्ञान है और इसका संबंध राजनीतिक संस्थाओं के वैज्ञानिक विश्लेषण से है।
4. अध्ययन पद्धतियों के संबंध में अन्तर
परम्परावादी राजनीति शास्त्रियों द्वारा प्रयुक्त अध्ययन पद्धतियाँ एकदम प्राचीन और अपरिष्कृत हैं। उन्होंने दार्शनिक पद्धति, ऐतिहासिक पद्धति तथा तुलनात्मक पद्धति का सहारा लिया है।
जबकि आधुनिक राजनीतिशास्त्रियों ने आधुनिक उपकरणों के माध्यम से राजनीति के अध्ययन पर अधिक बल दिया है। वे मनुष्य के राजनीतिक व्यवहारों तथा उनसे संबंधित आनुभविक सत्यों का विश्लेषण तथा निरूपण करते हैं। आधुनिक राजनीतिशास्त्री सांख्यिकीय पद्धति, आनुभविक पद्धति, व्यवस्था विश्लेषण पद्धति तथा अन्तः अनुशासनात्मक अध्ययन पद्धति के माध्यम से राजनीति को विज्ञान बनाने की ओर प्रयत्नशील हैं।
5. मूल्यों के संबंध में अन्तर
परम्परावादी राजनीति शास्त्री मूल्यों में आस्था रखते हैं वे आदर्श और नैतिकता में विश्वास करते हैं।
जबकि आधुनिक अथवा व्यवहारवादी विचारक मूल्य निरपेक्षता का दावा करते हैं। उनके अनुसार राजवैज्ञानिक अपने आपको नैतिक भावनाओं, मूल्यों, आदर्शों तथा पक्षपातों से दूर रखकर वैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान करे। एक राजवैज्ञानिक को मूल्य निरपेक्ष एवं तटस्थ रहना चाहिये।
6. उद्देश्यों के संबंध में अन्तर
परम्परावादियों की यह धारणा है कि राजनीति विज्ञान का उद्देश्य श्रेष्ठ जीवन के मार्ग को प्रशस्त करना है।
इसके विपरीत आधुनिक व्यवहारवादी विचारक यह मानते हैं कि राजनीति विज्ञान का उद्देश्य ज्ञान के लिए ज्ञान प्राप्त करना है। वे प्रविधियों पर अधिक जोर देते हैं। उनके मत में राजनीति वैज्ञानिक को केवल मूक दर्शक ही नहीं बनना है, बल्कि समस्याओं के समाधान के लिए भी प्रयास करना है।