छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजाति :
भारत सरकार द्वारा सन 1960-61 ई. में अनुसूचित जनजातियों में आपस में ही विकास दर की असमानता का अध्ययन करने के लिए ‘उच्छरंगै नवलशंकर ढेबर‘ की अध्यक्षता में “ढेबर आयोग” का गठन किया गया था।
ढेबर आयोग के रिपोर्ट के आधार पर अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत एक उपवर्ग बनाया गया जिसे ‘आदिम जनजाति समूह‘ (Primititive Tribal Group) कहा गया। इस वर्ग की पहचान थी कृषि पूर्व अर्थव्यवस्था का अस्तित्व होना, शिकार करना, कबीलों में रहना, शून्य जनसँख्या वृद्धि दर, अन्य अनुसूचित जनजातियों की तुलना में निम्न साक्षरता स्तर।
उपरोक्त में से एक भी लक्षण जिस जनजाति समूह में पाया गया उसे PTG में शामिल किया गया। वर्ष 2006 में भारत सरकार ने आदिम जनजाति समूह (PTG) का नाम बदल कर विशेष असुरक्षित जनजातीय समूह, PVTG (Perticularly Vulnerable Tribal Group) कर दिया है।
वर्तमान में भारत के कुल 75 जनजातियों को PVTG में रखा गया है। जिनमें से छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले अनुसूचित जनजातियों में से 5 जनजातियां क्रमशः कमार, अबुझमाडिया, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर तथा बैगा को छत्तीसगढ़ राज्य में आदिम जनजाति (विशेष पिछड़ी जनजाति) के रूप में भारत सरकार द्वारा चिन्हांकित किया गया है। जिसका कारण है धीमा विकास दर।
PVTG सूची में शामिल छत्तीसगढ़ की जनजातियां :
- 1. अबूझमाड़िया
- 2. बैगा
- 3. बिरहोर
- 4. कमार
- 5. पहाड़ी कोरबा
इसके अलावा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भूंजिया और पण्डो जनजाति को विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति के रूप में पहचान मिली है।