# लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों की भूमिका | The role of Political Parties in Democracy

लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों की भूमिका :

लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों का बहुत महत्व है। राजनीतिक दल उम्मीदवारों का चयन करते हैं, उन्हें लोकप्रिय बनाने का प्रयास करते हैं तथा चुनावों में जनता का पथ प्रदर्शन करते हैं। चुनावों के बाद वे जनता और सरकार के बीच कड़ी का कार्य करते हैं।

यहाँ तक तो सब ठीक है किन्तु दलों से होने वाली हानियों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। वे सम्पूर्ण देश को विरोधी शिविरों में बाँट देते हैं और कभी-कभी नागरिकों को ऐसे कार्य करने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं जो राष्ट्र-हित की दृष्टि से घातक होते हैं। राजनीतिक दलों का नेतृत्व प्रायः ऐसे लोगों के हाथों में आ जाते है जो कुशल वक्ता होते हैं, झूठ बोलने की कला में बहुत निपुण होते हैं तथा सर्वसाधारण जनता के सामने सुनहरी तस्वीर प्रस्तुत करने में पारंगत होते हैं। जिन देशों में बहुत सारे राजनीतिक दल हैं; जैसे—फ्रांस व इटली, वहाँ तो किसी भी दल के लिए काम चलाने लायक बहुमत प्राप्त कर सकना बहुत कठिन कार्य है। फलस्वरूप, सरकारें बनती और गिरती रहती हैं।

दबाव गुटों (Pressure Groups) के कारण भी राजनीति बहुत अधिक विकृत हो गयी है। बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थानों ने कुछ ऐसे कुशल, बुद्धिमान और चालू व्यक्ति नियुक्त किये हुए हैं जो संसद-सदस्यों और उच्चाधिकारियों से निरन्तर सम्पर्क बनाये रखते हैं। इन व्यक्तियों का उद्देश्य सरकारी निर्णयों को प्रभावित करना होता है, ताकि उनके मालिकों के हितों की रक्षा होती रहे। अमेरिका की राजनीति में राष्ट्रपति के बाद यदि कोई सबसे अधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति है तो वह सीनेटर (संसद के उच्च सदन ‘सीनेट’ का सदस्य) है। दबाव गुटों के एजेण्ट सदैव सीनेटरों के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। पूँजीपति और औद्योगिक संस्थाओं के मालिक इन लोगों द्वारा संसद-सदस्यों और उच्चाधिकारयों को भ्रष्ट करने का प्रयास करते रहते हैं। वाटरगेट जैसे काण्ड इस बात का प्रमाण हैं कि न तो दलबन्दी ही भ्रष्टाचार से मुक्त है और न दबाव गुटों की गतिविधियाँ ही भ्रष्टाचार से पृथक् हैं।

प्रायः इस तरह की शिकायतें सुनने को मिलती हैं कि कम्पनियाँ और औद्योगिक संस्थान आय-कर व बिक्री-कर बचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से साँठ-गाँठ कर लेते हैं। ब्रिटेन और फ्रांस में अनेक ऐसे औद्योगिक घराने हैं जिनके कर्मचारी मन्त्रियों से नियमित सम्पर्क बनाये रखते हैं। उनका उद्देश्य यह रहता है कि ऐसे उद्योग-व्यवसायों को नुकसान न पहुँचे जिनमें उनके मालिकों की पूँजी लगी हुई है। सरकारी विभागों में दबावव-गुटों की घुसपैठ ने राजनीति को भ्रष्ट कर दिया है।

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