पर्यावरण प्रदूषण :
प्रकृति का अवलोकन करने पर जो कुछ परिलक्षित होता है, पर्यावरण के अन्तर्गत आता है। पर्यावरण के लिये अंग्रेजी शब्द Environment प्रयुक्त किया जाता है जो फ्रेंच भाषा के Environ से बना है जिसका अर्थ होता है आस-पास का वातावरण। हिन्दी में पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है- परि+आवरण। अतः पर्यावरण परिस्थितियों एवं पदार्थों का ऐसा समुच्चय है जो जीवधारियों के पालन-पोषण में सहायक होता है। तथा जिसमें अंतरिक्ष, ग्रह, नक्षत्र रात-दिन, जल, पृथ्वी, वायु, वनस्पतियों, पहाड़, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे और जाड़ा, गर्मी आदि सभी वस्तुएँ शामिल रहती है।
पर्यावरण में दो तरह के तत्व विद्यमान रहते हैं –
1. जैव तत्व समूह तथा
2. अजैव तत्व समूह
जैव तत्व समूह के अन्तर्गत वनस्पति, जीव-जन्तु मानव तथा सूक्ष्म जीव आते हैं। अजैव तत्व के अन्तर्गत सूर्य, प्रकाश, ऊर्जा, तापमान, वायु, पर्वत, सागर, झील, नदी, भूमिगत जल, मृदा जल, मृदा वायु, धात्विक एवं अधात्विक खनिज, चट्टानें आदि आते हैं। संतुलित पर्यावरण में सभी तत्व एक निश्चित अनुपात में विद्यमान रहते हैं लेकिन जब पर्यावरण में निहित एक या अधिक तत्वों की मात्रा अपने निश्चित अनुपात से बढ़ जाती है या पर्यावरण में विषैले तत्व का समावेश हो जाता है तो वह पर्यावरण प्राणियों के जीवन के लिए घातक बन जाता है। पर्यावरण में होने वाले इस घातक परिवर्तन को ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।
प्रदूषक (Pollutant) :
प्रदूषक वे पदार्थ कहलाते हैं जो अनुचित स्थान पर अनुचित मात्रा में मानव द्वारा विसर्जित किए जाते हैं। इनसे प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से मानव के स्वास्थ्य और उनके संसाधनों की हानि होती है। इन प्रदूषकों में मल-मूत्र धुआँ, सीवर जल, कूड़ा-कचरा, पर्यावरण को प्रभावित करने वाली घातक गैसें (NO2. NO. SO, CO. CO2) हानिकारक रासायनिक पदार्थ (रासायनिक उर्वरक, पीड़नाशी, कीटनाशक, रेडियोधर्मी पदार्थ आदि) शामिल हैं।
प्रदूषकों की वातावरण में उत्पत्ति के आधार पर इन्हें निम्नलिखित दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(अ) प्राथमिक प्रदूषक (Primary pollutants)- ये प्रदूषक किसी अभिज्ञेय स्त्रोत से वातावरण में सीधे मुक्त होते हैं जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि।
(ब) द्वितीयक प्रदूषक (Secondary pollutants) ये प्रदूषक प्राथमिक प्रदूषकों द्वारा रासायनिक अभिक्रिया के कारण उत्पन्न होते हैं जैसे- परॉक्सीएसिटाइल नाइट्रेट (PAN) धुंध बनने की प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया का एक उप-उत्पाद है।
प्रकृति में अस्तित्व के आधार पर भी प्रदूषकों को दो वर्गों में बाँटा गया है –
(1) परिमाणात्मक प्रदूषक (Quantitative pollutants) – इनके अन्तर्गत ऐसे पदार्थों को लिया गया है जो सामान्यता पर्यावरण में पाए जाते हैं परन्तु इनकी सान्द्रता एक क्रान्तिक सीमा से अधिक होने पर ये प्रदूषक की भाँति कार्य करने लगते हैं। जैसे- कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड।
(2) गुणात्मक प्रदूषक (Qualitative pollutants) – इस प्रकार के प्रदूषक सामान्यता वातावरण में उपस्थित नहीं होते हैं बल्कि मानवीय क्रिया-कलापों द्वारा वातावरण में प्रवेश करते हैं अर्थात् मानव इसका उत्पादन करता है जैसे- कीटनाशी, रासायनिक उर्वरक आदि।
प्रमुख प्रदूषक :
वायु जल एवं भूमि को प्रदूषित करने वाले प्रमुख प्रदूषक निम्नलिखित वर्ग में विभाजित हैं :-
भौतिक प्रदूषक – ऊष्मा (भाप, गर्म जल आदि), ध्वनि (20,000 डेसीबल से अधिक), विकिरण (X- किरणें, पराबैंगनी किरणें, आदि)
रासायनिक प्रदूषक – गैसें (NO2, NO, SO, H2S, CO, CO2) आदि, भारी धातुएँ (पारा, सीसा, जस्ता, निकिल), कृषि रसायन (धर्वरक पीड़कनाशी), रेडियोधर्मी अपशिष्ट पदार्थ (क्रिप्टन यूरेनियम)
जैविक प्रदूषक – परागकण, कवक, बीजाणु, जीवाणु, विषाणु।
प्रदूषण के प्रकार (Kind of pollution) :
प्रदूषण को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है जिनमें प्रमुख आधार हैं-
1. वातावरण के आधार पर जैसे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा मृदा प्रदूषण
2. प्रदूषकों के आधार पर, जैसे- ध्वनि प्रदूषण, ठोस अपशिष्ट प्रदूषण, विकिरण प्रदूषण, रासायनिक प्रदूषण आदि।
सुविधा हेतु प्रदूषण को निम्नलिखित प्रकारों में बाँटा गया है-
1. वायु प्रदूषण
2. जल प्रदूषण
3. मृदा प्रदूषण
4. ध्वनि प्रदूषण
5. नाभिकीय प्रदूषण आदि।