# इतिहास शिक्षण के शिक्षण सूत्र (Itihas Shikshan ke Shikshan Sutra)

शिक्षण कला में दक्षता प्राप्त करने के लिए विषयवस्तु के विस्तृत ज्ञान के साथ-साथ शिक्षण सिद्धान्तों का ज्ञान होना आवश्यक है। शिक्षण सिद्धान्तों के समुचित उपयोग के लिए मनोवैज्ञानिकों एवं शिक्षाशास्त्रियों, जैसे-कॉमेनियस (Comenious) और हरबर्ट स्पेन्सर (Herbert Spencer) आदि ने अपने अनुभवों के आधार पर शिक्षण के कुछ सामान्य नियम निर्धारित किए थे, ताकि शिक्षण … Read more

# समाजीकरण के स्तर एवं प्रक्रिया या सोपान (Stages and Process of Socialization)

समाजीकरण का अर्थ एवं परिभाषाएँ : समाजीकरण एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा जैविकीय प्राणी में सामाजिक गुणों का विकास होता है तथा वह सामाजिक प्राणी बनता है। इस प्रक्रिया के द्वारा व्यक्ति समाज और संस्कृति के बीच रहकर विभिन्न साधनों के माध्यम से सामाजिक गुणों को सीखता है। अतः इसे सीखने की प्रक्रिया … Read more

# सामाजिक प्रतिमान (आदर्श) का अर्थ, परिभाषा | Samajik Pratiman (Samajik Aadarsh)

सामाजिक प्रतिमान (आदर्श) का अर्थ : मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में संगठन की स्थिति कायम रहे इस दृष्टि से सामाजिक आदर्शों का निर्माण किया जाता है। इनका निर्माण यकायक नहीं होता। कुछ आदर्श प्रतिमान क्रमशः विकसित हो जाते हैं और कुछ को इच्छा के साथ विकसित किया जाता है। इन प्रतिमानों का स्वरूप … Read more

# भारतीय संविधान में किए गए संशोधन | Bhartiya Samvidhan Sanshodhan

भारतीय संविधान में किए गए संशोधन : संविधान के भाग 20 (अनुच्छेद 368); भारतीय संविधान में बदलती परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार संशोधन करने की शक्ति संसद को प्रदान करती है। भारतीय संविधान के लागू होने (1950) के बाद से वर्ष 2021 तक कुल 105 संशोधन हो चुके हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित है – … Read more

# समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में अन्तर, संबंध (Difference Of Sociology and Economic in Hindi)

समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र : अर्थशास्त्र के अंतर्गत मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं, वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन एवं वितरण का अध्ययन किया जाता है। समाजशास्त्र के अंतर्गत मनुष्य की सामाजिक क्रियाओं और गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है। समाजशास्त्र प्रथा परंपरा, रूढ़ि, संस्था, संस्कृति, सामाजिक संबंधों, सामाजिक संरचनाओं, सामाजिक प्रतिमानों के अध्ययन में विशेष रूचि रखता … Read more

# छत्तीसगढ़ में शरभपुरीय वंश (Sharabhpuriya Dynasty In Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ में शरभपुरीय वंश : लगभग छठी सदी के पूर्वार्द्ध में दक्षिण कोसल में नए राजवंश का उदय हुआ। शरभ नामक नरेश ने इस क्षेत्र में अपनी राजधानी बनाई। राजधानी का नाम उसी के नाम पर शरभपुर रखा गया तथा यह राजवंश शरभपुरीय राजवंश कहलाया। इस राजवंश के शासकों का सही कालखंड निर्धारण नहीं हो … Read more