# बस्तर का दशहरा पर्व : छत्तीसगढ़ | Bastar Ka Dussehra Parv

बस्तर का ऐतिहासिक दशहरा विभिन्न विधि-विधानों के संगम का पर्व है। इस पर्व के प्रत्येक विधि-विधान की अपनी ऐतिहासिकता है, जो स्वयमेव ही इस पर्व को ऐतिहासिक भव्यता प्रदान करती है। यह पर्व निरंतर 75 दिनों तक चलती है। संपूर्ण भारत में मनाए जाने वाले दशहरे की प्राचीनता राम-रावण के संघर्ष से प्रेरित है तथा … Read more

# छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्र | Scheduled Areas of Chhattisgarh State in Hindi

भारतीय संविधान के 5वीं और 6वीं अनुसूची में उल्लेखित क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र कहा जाता हैं। पांचवीं अनुसूची में कुल 10 राज्य छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िसा, राजस्थान और तेलंगाना को शामिल किया गया है। वहीं छठीं अनुसूची में चार पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम शामिल हैं। छत्तीसगढ़ … Read more

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक गाथा, कथाएं एवं लोक नाट्य | Folk Tales And Folk Drama of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति में सृष्टि के रहस्यों से लेकर प्राचीन तत्त्वों एवं भावनाओं के दर्शन होते रहे हैं। अलौकिकता, रहस्य, रोमांच इसकी रोचकता को बढ़ाते हैं। लोककथाएँ, लोकमानस की मूल भावना के रूप को स्थूल प्रतीकों के माध्यम से अभिव्यक्त करती रही है, वहीं लोकनाट्य छत्तीसगढ़ के पौराणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप को प्रत्यक्ष … Read more

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक गीत | Chhattisgarh Ke Lok Geet

छत्तीसगढ़ी लोक गीत : किसी क्षेत्र विशेष में लोक संस्कृति के विकास हेतु लोकगीत/लोकगीतों का प्रमुख योगदान होता है। इन गीतों का कोई लिपिबद्ध संग्रह नहीं होता, यही कारण है कि इनकी तुलना वेदों से की जाती है जो श्रुति पर आधारित रहते हैं। लोकगीतों के लिपिबद्ध होने से उनकी मौलिकता नष्ट हो जाती है … Read more

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य | Chhattisgarh Ke Lok Nritya

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य : लोक नृत्य छत्तीसगढ़ के निवासियों की अपनी जातीय परंपरा एवं संस्कृति का परिचायक है। छत्तीसगढ़ के अनेक लोकगीतों में से कुछ गीतों का संबंध नृत्य से है। करमा, डंडा और सुआ गीत नृत्य के योग से सजीव हो उठते हैं यह नृत्य छत्तीसगढ़ के लोगों के जीवन से घुल … Read more

# छत्तीसगढ़ के प्रमुख वाद्य यंत्र | Chhattisgarh Ke Vadya Yantra

छत्तीसगढ़ी लोक वाद्य यंत्र : यदि वाद्यों की उत्पत्ति को कल्पित भी माना जाए तो भी यह स्वीकार करना ही होगा कि प्रकृति के अंग-अंग में वाद्यों का समावेश है। हमारे लोकजीवन के रग-रग में वाद्यों का स्वर सराबोर है। लोकजीवन ने प्रकृति के आंचल से वाद्यों को ग्रहण करके उन्हें इतना समृद्ध बनाया कि … Read more