जनांकिकी संक्रमण का अभिप्राय :
विश्व के किसी भी जनसमूह को जनांकिकी की संक्रमण स्थिति से होकर गुजरना आवश्यक है। इस प्रक्रिया में मृत्युदर में कमी कई कारकों, उदाहरणस्वरूप संक्रामक व्याधियों तथा अकाल आदि पर नियंत्रण नहीं होने से आ जाती है। इसके साथ ही जनन-शक्ति पर जनसंख्या की अधिक वृद्धि के रोकथाम हेतु नियंत्रण किया जाता है। संक्रमण की स्थिति के प्रारम्भ होने के पूर्व जन्म दर उच्च होती है, जो उच्च मृत्यु दर द्वारा संतुलित होती रहती है। इससे जनसंख्या वृद्धि में स्थायित्व रहता है अथवा उसकी वृद्धि की गति मंद हो जाती है, किन्तु आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धि होने से मृत्यु दर में कमी के कारण जनसंख्या वृद्धि की गति तीव्र हो जाती है।
इस कारण, इसे संक्रमण की दो अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है। प्रथम को पूर्व संक्रमण की अवस्था कहते हैं, जिसमें जन्म अथवा मृत्यु दर पर नियंत्रण कर लिया जाता है, जिससे वृद्धि शून्य ही रहती है। दूसरी अवस्था में मृत्यु दर कम होने के परिणामस्वरूप जन्म दर में वृद्धि होना स्वाभाविक ही हो जाता है। इस प्रकार, की गतिविधि को जननांकिकी संक्रमण अवस्था कहते हैं।