परम्परा तथा आधुनिकता में अन्तर/संबंध :
मिल्टन सिंगर (Milton Singer) का कथन है कि “परम्परा तथा आधुनिकता केवल दो मॉडल हैं जिनमें से किसी का भी विशुद्ध रूप किसी समाज में देखने को नहीं मिल सकता।” इस प्रकार, इन धारणाओं को तुलनात्मक आधार पर ही स्पष्ट किया जा सकता है। तुलना की दृष्टि से परम्परा तथा आधुनिकीकरण के प्रमुख अन्तर को निम्नांकित रूप से समझा जा सकता है-
1) परम्परा एक विशेष पर्यावरण है जो व्यक्ति को एक विशेष प्रकार से व्यवहार करने तथा विचार करने के लिए बाध्य करता है। आधुनिकता एक निश्चित विषय-वस्तु नहीं है बल्कि यह एक विशेष दृष्टिकोण है जिसके अनुसार विभिन्न व्यवहारों तथा प्रक्रियाओं का रूप निर्धारित किया जाता है।
2) परम्परा एक स्थिर विशेषता है। इसमें ‘जो जैसा है’ उसी को ग्रहण करने की अनुमति प्रदान की जाती है। इसके विपरीत आधुनिकीकरण एक परिवर्तनशील गुण है जो विवेक, समय और परिस्थिति के अनुसार व्यक्ति को अपने व्यवहारों में परिवर्तन कर लेने की छूट प्रदान करता है।
3) परम्परा तुलनात्मक रूप से एक व्यापक धारणा है। यह जीवन के छोटे-से-छोटे और सूक्ष्म-से-सूक्ष्म प्रत्येक पक्ष से सम्बन्धित है। परम्परा से प्रभावित समाज में व्यक्ति का कोई भी व्यवहार ऐसा नहीं होता जिसकी एक विशेष ढंग से व्याख्या न की जानी हो। इसके विपरीत, आधुनिकीकरण जीवन का एक विशेष ढंग है जो पश्चिमी जीवन पर आधारित परिवर्तन के एक विशेष प्रतिमान को स्पष्ट करता है।
4) परम्परा जीवन का एक स्रोत (source) है जबकि आधुनिकीकरण एक व्युत्पत्ति (after product)। इसका तात्पर्य है कि सामाजिक विकास के आरम्भिक स्तर पर प्रत्येक समाज का जीवन परम्परावादी होता है लेकिन जब इन परम्पराओं से उत्पन्न रूढ़ियाँ सामाजिक प्रगति में बाधक बनने लगती हैं तभी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया अस्तित्व में आती है।
5) परम्परा एक स्वतः चालित गुण है जिसका किसी समाज में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लिए संचरण होता रहता है। इसके विपरीत, आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में वैयक्तिक अनुभवों तथा ज्ञान का विशेष स्थान है। तर्क और विवेक आधुनिकीकरण के प्रमुख आधार हैं और इनका सम्बन्ध वैयक्तिक कुशलता से है, किसी प्रकार के सांस्कृतिक संचरण से नहीं है।
6) इससे स्पष्ट होता है कि परम्परा में व्यक्ति एक निष्क्रिय प्राणी है जबकि आधुनिकीकरण की प्रक्रिया व्यक्ति के सक्रिय प्रयासों से आगे बढ़ती है।
7) परम्परा और आधुनिकता इस अर्थ में एक-दूसरे के विरोधी हैं कि उत्पादन, उपभोग, सामाजिक व्यवस्थाओं, सामाजिक प्रस्थिति, व्यवहारों और नैतिकता से सम्बन्धित परम्परा तथा आधुनिकता के मूल्य एक-दूसरे से पूर्णतया भिन्न हैं।