वर्तमान में विज्ञान अपने विभिन्न आयामों के साथ विकास की ओर बढ़ता चला जा रहा है। इन विभिन्न आयामों में सूचना प्रौद्योगिकी एक ऐसी आधुनिक शाखा है जिसके माध्यम से आज हमारी सभी योजनाएँ व कार्य प्रणाली बहुत ही आसान हो गई हैं कि हम इक्कीसवीं सदी को ‘सूचना प्रौद्योगिकी‘ की सदी कहने लगे। सूचना प्रौद्योगिकी का प्रायः हर क्षेत्र में उपयोग हो रहा है चाहे वह चिकित्साशास्त्र हो, चाहे वह यांत्रिकी विज्ञान हो या चाहे कोई भी विशेषीकृत शाखा हो, कहीं न कहीं सूचना प्रौद्योगिकी की आवश्यकता उसे पड़ती ही है।
ऐसे में हमारा पर्यावरण जो आज वृहत् संकट के दौर से गुजर रहा है उसके संरक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका न हो ऐसा सम्भव नहीं है। पर्यावरण सम्बन्धी सभी सूचनाओं का सम्प्रेषण, उसकी सम्भावित गणनाओं, विभिन्न प्रायोगिक अवलोकन आदि में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। दूसरी ओर हमारा स्वास्थ्य यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है इसमें भी आज सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। यहाँ हम इन तथ्यों का वर्णन करेंगे कि कैसे सूचना प्रौद्योगिकी पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी की पर्यावरण में भूमिका :
सूचना प्रौद्योगिकी की पर्यावरण में भूमिका निम्नानुसार हो सकती है-
(1) पर्यावरण प्रदूषण की जानकारी
(2) मौसम का पूर्वानुमान
(3) जलवायु परिवर्तन
(4) सूचनाओं का सम्प्रेषण
(5) आपदाओं की चेतावनी।
1. पर्यावरण प्रदूषण की जानकारी
सूचना प्रौद्योगिकी का महत्व पर्यावरण प्रदूषण की जानकारी प्राप्त करने में किया जाता है। इसकी सहायता से वायु में हानिकारक गैसों का अवलोकन कर उन्हें सम्प्रेषित किया जाता है जिससे प्राप्त अवलोकन का अध्ययन कर पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण की जानकारी को प्राप्त किया जा सकता है और सूचना प्रसारण माध्यमों के द्वारा जन सामान्य तक यह जानकारी पहुँचायी जा सकती है। दूरदर्शन में सामान्य समाचार प्रसारणों के साथ प्रदूषण की जानकारी दी जा रही है जो सूचना प्रौद्योगिकी के कारण ही सम्भव है।
2. मौसम का पूर्वानुमान
सूचना प्रौद्योगिकी का पर्यावरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मौसम के पूर्वानुमान के बारे में की जाती है। इसमें उपग्रह से सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं एवं सम्भावित मौसम का पूर्वानुमान प्राप्त किया जाता है। हमारा देश कृषि प्रधान है, अतः हमें वर्षा का समय मालूम करना अत्यावश्यक होता है। उपग्रह से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर मानसून का पूर्वानुमान लगाकर कितनी वर्षा होगी यह बताया जा सकता है।
3. जलवायु परिवर्तन
पृथ्वी के किस भाग की जलवायु में कितना परिवर्तन हो रहा है। यह बात भी हम लगातार उस स्थान से सूचनाएँ प्राप्त कर उसके अवलोकन के पश्चात् बता सकते हैं जैसे उत्तरी ध्रुव से लगातार सूचनाएँ प्राप्त करने के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला गया है कि तापमान बढ़ने से वहाँ की बर्फ पिघल रही है और वहाँ हरियाली की मात्रा बढ़ रही है। यह सब सूचना प्रौद्योगिकी से सम्भव है।
4. सूचनाओं का सम्प्रेषण
सूचना प्रौद्योगिकी आज इतनी अधिक विकसित हो गई। है कि हमें चाहे कितने पुराने या चाहे जितने अधिक आँकड़े प्राप्त हों उनका सम्प्रेषण (इन्टरनेट) कुछ क्षणों में हो जाता है। अतः पर्यावरण से सम्बन्धित सूचनाओं को भी पूरे विश्व में फैलाने में या कहीं की भी सूचनाएँ इस प्रौद्योगिकी द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं।
5. आपदाओं की चेतावनी
सूचना प्रौद्योगिकी में उपग्रहों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिस प्रकार इन उपग्रहों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर मौसम का पूर्वानुमान कर सकते हैं उसी प्रकार इन उपग्रहों के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं विशेष रूप से समुद्री तूफान, बाढ़ इत्यादि का पूर्वानुमान कर पर्यावरण को होने वाली हानियों से बचाया जा सकता है।
सूचना प्रौद्योगिकी की मानव-स्वास्थ्य में भूमिका :
इसी प्रकार मानव-स्वास्थ्य में भी सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जो निम्नानुसार है-
१. प्रदूषण की जानकारी
२. रोगों के निदान में।
1. प्रदूषण की जानकारी
विभिन्न पर्यावरण कारकों के परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसका अनुमान विभिन्न स्थानों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कर सकते हैं। सही सूचनाएँ, सही समय पर आज विकसित सूचना प्रौद्योगिकी के द्वारा ही सम्भव हैं।
2. रोगों के निदान में
सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका चिकित्साशास्त्र में भी होने लगी है। इसमें सबसे आधुनिक विधि ‘टेली मेडीसिन‘ विकसित है। जिसमें रोगी को चिकित्सक के पास जाने की आवश्यकता नहीं, वह आपका परीक्षण एक स्थान से करके आपको रोग निदान के उपाय बता देंगे। इसी प्रकार ऑपरेशन की सलाह भी सम्बन्धित चिकित्सक को ‘टेली कान्फ्रेंसिंग‘ के माध्यम से दे सकते हैं। ये सभी सूचना प्रौद्योगिकी के द्वारा ही सम्भव है।