राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध :
डॉ. गार्नर के अनुसार, “हम दूसरे सहायक विज्ञानों का यथावत ज्ञान प्राप्त किये बिना राजनीति विज्ञान एवं राज्य का पूर्ण ज्ञान ठीक उसी प्रकार प्राप्त नहीं कर सकते जिस प्रकार गणित के बिना यंत्र विज्ञान और रसायन शास्त्र के बिना जीव विज्ञान का यथावत् ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता।”
राजनीति विज्ञान का सबसे बड़ा गुण सामाजिक विज्ञान की अन्य शाखाओं के निष्कर्षों को ग्रहण करने की तत्परता है। रोढ़ी के अनुसार, “सम्भवतः राजनीति विज्ञान का सबसे बड़ा गुण उसकी विनम्रता है। अन्य विज्ञानों से शिक्षा लेने की तत्परता और अन्य सहयोगी विज्ञानों के सम्मुख अंतिम और निश्चयात्मक सिद्धान्त बनाने का दावा न करना उसके उन्नत विकास का प्रमाण है।” राजनीति विज्ञान का सभी सामाजिक विज्ञानों से घनिष्ठ संबंध है। यहाँ कुछ प्रमुख विषयों के साथ उसके सम्बन्ध की चर्चा करेंगे।
1. राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र
राजनीति शास्त्र और समाजशास्त्र परस्पर घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं और एक दूसरे पर आश्रित हैं क्योंकि राज्य एक सामाजिक राजनीतिक संस्था है।
यद्यपि राजनीतिशास्त्र और समाजशास्त्र में घनिष्ठ संबंध है फिर भी गहराई से देखने पर दोनों में अन्तर दिखाई पड़ता है। समाजशास्त्र का क्षेत्र व्यापक है। राजनीति शास्त्र का क्षेत्र सीमित है। समाजशास्त्र राजनीति शास्त्र की तुलना में अधिक प्राचीन है।
इस प्रकार समाजशास्त्र व राजनीतिशास्त्र में जहाँ घनिष्ठ संबंध है वहीं अन्तर भी है। दोनों शास्त्रों का पारस्परिक सहयोग ज्ञान के विकास के लिए आवश्यक है।
2. राजनीति विज्ञान और इतिहास
राजनीति विज्ञान तथा इतिहास विभिन्न रूपों में एक दूसरे पर आश्रित हैं। इतिहास अतीत की राजनीतिक घटनाओं व तथ्यों का ऐसा संग्रह है जिससे राजनीति शास्त्र में अपने सिद्धान्तों के निर्धारण में पर्याप्त सहायता मिलती है।
परस्पर एक दूसरे पर निर्भर होते हुए भी राजनीति विज्ञान और इतिहास में कुछ अन्तर भी हैं। इतिहास वर्णनात्मक पद्धति का प्रयोग करता है जबकि राजनीति विज्ञान पर्यवेक्षणात्मक व दार्शनिक पद्धतियों का प्रयोग करता है। राजनीतिशास्त्र मनुष्य के राजनीतिक जीवन और राजनीतिक संस्थाओं का ही अध्ययन करता है जबकि इतिहास मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन का व समस्त संस्थाओं के अतीत का अध्ययन करता है।
3. राजनीति विज्ञान व अर्थशास्त्र
राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में परस्पर घनिष्ठ संबंध है। दोनों एक दूसरे पर अत्यधिक प्रभाव डालते हैं। राज्य की उत्पत्ति व उसके विकास में आर्थिक क्रियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य के क्रियाकलापों व उसकी नीतियों के पीछे आर्थिक परिस्थितियों का प्रभाव होता है। प्रमुख राजनीतिक क्रान्तियों व युद्धों का प्रमुख कारण आर्थिक असंतोष ही रहा है।
अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में पर्याप्त भेद भी हैं। अर्थशास्त्र का संबंध मनुष्य के आर्थिक जीवन से है जबकि राजनीति विज्ञान का संबंध मनुष्य के राजनीतिक जीवन से है। राजनीति विज्ञान आदर्शात्मक विज्ञान है जबकि अर्थशास्त्र मात्र वर्णनात्मक विज्ञान है।
4. राजनीति विज्ञान और नीतिशास्त्र
राजनीतिक कार्यों के औचित्य का निश्चय नीतिशास्त्र की मान्यताओं के आधार पर ही किया जाता है। अतः राजनैतिक शास्त्र और नीतिशास्त्र परस्पर घनिष्ठ रूप से संबंधित है। राज्य के पास असीमित और विधिक प्रभुसत्ता के होते हुए भी वह व्यवहार में ऐसे कानूनों को लागू नहीं कर सकता जिनके पीछे नैतिक बल न हो।
राजनीति शास्त्र और नीतिशास्त्र में पर्याप्त भेद भी हैं। राजनीति शास्त्र केवल राजनीति क्रियाओं का अध्ययन करता है, नीतिशास्त्र सम्पूर्ण सामाजिक वैयक्तिक जीवन से सम्बन्धित है। राजनीति शास्त्र वर्णनात्मक और व्यावहारिक शास्त्र है, जबकि नीतिशास्त्र आदर्शात्मक व सैद्धान्तिक शास्त्र है।
5. राजनीति विज्ञान और मनोविज्ञान
मनोविज्ञानव्यक्ति के मन की क्रियाओं तथा उसके बाह्य व्यवहार का अध्ययन है और मानवीय व्यवहार और प्रकृति को समझे बिना राजनीति विज्ञान का अध्ययन ठीक प्रकार से नहीं किया जा सकता। राजनीति में मनोवैज्ञानिक तथ्यों की उपयोगिता को स्वीकार करते हुए वर्तमान राजनीति शास्त्री मनोवैज्ञानिक अध्ययन पद्धति के प्रयोग पर जोर देने लगे हैं।
राजनीति विज्ञान और मनोविज्ञान में पर्याप्त भेद भी हैं। मनोविज्ञान एक यथार्थवादी विज्ञान है, राजनीति विज्ञान यथार्थवादी होने के साथ साथ आदर्शवादी भी है। राजनीति विज्ञान एक अतिप्राचीन विज्ञान है, मनोविज्ञान एक नवीन शास्त्र है।
6. राजनीति विज्ञान और दर्शनशास्त्र
दर्शनशास्त्र जीवन और जगत की प्रकृति और उसके मूल संबंधी मानव की खोज से संबंधित शास्त्र है। राजनीति विज्ञान के अन्तर्गत अध्ययन किये जाने वाले ‘राजनीतिक जीवन’ और ‘राजनीतिक विश्व’ उस विश्व का ही भाग हैं, जिसकी प्रकृति और जिसके मूल की खोज दर्शनशास्त्र के अध्ययन का विषय है। दोनों विषयों में घनिष्ठ संबंध होते हुए भी कुछ अन्तर हैं जो इस प्रकार हैं- १. दर्शन शास्त्र सम्पूर्ण जीव जगत और सृष्टि के नियामक तत्त्व का अध्ययन करता है लेकिन राजनीति विज्ञान के अध्ययन का क्षेत्र मुख्य रूप से मनुष्य का राजनीतिक जीवन और राजनीतिक विश्व है। २. दर्शनशास्त्र की मूल प्रकृति सैद्धान्तिक और वैचारिक है। किन्तु राजनीति विज्ञान की प्रकृति सैद्धान्तिक और वैचारिक ही नहीं है, बल्कि व्यावहारिक अध्ययन और तथ्यात्मक विश्लेषण भी उसकी प्रकृति का एक प्रमुख अंग हैं। ३. राजनीति विज्ञान का संबंध मुख्यतया साकार, मूर्त और प्रत्यक्ष से है जबकि दर्शनशास्त्र का संबंध मुख्यतया निराकार अमूर्त व अप्रत्यक्ष से है।
7. राजनीति विज्ञान और भूगोल
भूगोल का संबंध भूमि, वायु, वर्षा, खनिज पदार्थ, कृषि, समुद्र, नदी तथा पहाड़ इत्यादि से होता है। भूगोल उन प्राकृतिक दशाओं का वर्णन करता है जिनका मनुष्य के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। राज्य के निर्माणकारी तत्त्वों में भूखण्ड एक महत्वपूर्ण तत्त्व है और भूगोल के अध्ययन के विषय भी भूखण्ड अर्थात् पृथ्वी, जल तथा वायु होते हैं।
भूगोल तथा राजनीति विज्ञान में पारस्परिकता होते हुए भी दोनों में कुछ भेद भी हैं जो कि इस प्रकार हैं- भूगोल के अन्तर्गत विभिन्न देशों की प्राकृतिक दशा, जलवायु तथा वनस्पति आदि का अध्ययन किया जाता है जबकि राजनीति विज्ञान के अन्तर्गत राज्य सरकार तथा विधि का अध्ययन किया जाता है। भूगोल ठोस तथ्यों से सम्बन्धित विज्ञान है जबकि राजनीतिशास्त्र तथ्यों के साथ-साथ आदर्श का चित्रण भी करता है।
8. राजनीति विज्ञान और गणना शास्त्र
गणनाशास्त्र का भी राजनीति विज्ञान के साथ निकट संबंध है। राजनीति विज्ञान द्वारा प्राप्त तथ्यों को गणना द्वारा ही अभिव्यक्त किया जाता है। कानून का निर्माण करने में, नीति का निर्धारण करने में तथा राजशक्ति का प्रयोग करने में गणनाशास्त्र का ही क्रियात्मक प्रयोग होता है। सरकार जब कानून बनाती है तथा जिस नीति का अनुसरण करती है और जो कार्य करती है उनका क्या परिणाम होता है, इसका आकलन भी गणनाशास्त्र की सहायता से ही होता है।