राजनीति विज्ञान – सर्वाधिक उपयुक्त नाम :
“राजनीति” शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अरस्तु ने अपनी ‘पालिटिक्स’ पुस्तक के शीर्षक के रूप में किया था। लास्की ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ का नाम ‘ग्रामर ऑफ पालिटिक्स’ रखा है और विल्सन ने भी राजनीति के सिद्धान्त नामक शीर्षक से पुस्तक की रचना की है। लेकिन ‘राजनीति’ शब्द में सिर्फ व्यावहारिक राजनीति का समावेश होता है। इसी प्रकार ‘राजनीतिक दर्शन’ में सिर्फ विषय के सैद्धान्तिक पक्ष का विवेचन होता है।
राजनीति विज्ञान, विज्ञान है या नहीं, इस पर विचार करने से पहले इस बात पर विचार करना जरूरी है कि क्या इस विषय के लिए राजनीति विज्ञान नाम सर्वाधिक उपयुक्त है? वर्तमान में मनुष्य के राजनीतिक क्रिया-कलापों और संस्थाओं से सम्बन्धित विषय को राजनीति विज्ञान कहा जाता है।
वर्तमान में मनुष्य के राजनीतिक क्रिया-कलापों और संस्थाओं से सम्बन्धित विषय को राजनीति विज्ञान कहा जाता है, तथापि इसे अब तक राजनीति, राजनीतिक दर्शन आदि कई नाम दिये जा चुके है।
अधिकांश विद्वानों का मत है कि ‘राजनीति’ और ‘राजनीतिक दर्शन’ की अपेक्षा ‘राजनीति विज्ञान’ नाम सर्वाधिक उपयुक्त है। “राजनीति विज्ञान” शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम गॉडविन और मेरी वुल्सटोनेक्राफ्ट द्वारा किया गया था। आज यही सर्वसम्मत नाम बन गया हैं। इस मत के समर्थन में निम्नांकित तर्क प्रस्तुत किये जाते हैं –
1. अध्ययन क्षेत्र के अनुरूप- ‘राजनीति विज्ञान’ शब्द के अन्तर्गत हमारे अध्ययन-विषय राजनीति के सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक दोनों पक्ष आ जाते हैं, अतः यह शब्द हमारे अध्ययन-विषय के अनुकूल है।
2. विषय की प्रकृति के अनुकूल- ‘राजनीति विज्ञान’ शब्द का प्रयोग करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रस्तुत विषय विज्ञान और कला दोनों है। प्रकृति के अनुकूल होने के कारण ‘राजनीति विज्ञान’ शब्द का प्रयोग ही अधिक उपयुक्त है।
3. सम्मानप्रद संज्ञा- आधुनिक युग में राजनीति विज्ञान प्रस्तुत विषय के लिए एक सम्मानप्रद संज्ञा है। सीले, विलोबी, गैटल, गार्नर आदि भी ‘राजनीति विज्ञान’ शब्द को ही अधिक उपयुक्त मानते हैं। सन् 1948 में यूनेस्को के तत्वाधान में हुए एक सम्मेलन में राजनीति विज्ञानियों ने ‘राजनीति विज्ञान‘ शब्द को ही अधिक उपयुक्त ठहराया था।
गिलक्राइस्ट के शब्दों में कहा जा सकता है कि, “विवेक तथा प्रचलन के दृष्टिकोण से राजनीति विज्ञान ही सर्वाधिक उचित नाम है।”