लोक प्रशासन का महत्व :
लोक प्रशासन का महत्व आधुनिक राज्य में उसकी बढ़ती भूमिका के तहत निरन्तर बढ़ता जा रहा है। प्राचीन काल में जिसे हम राज्य की प्रारम्भिक अवस्था कहते हैं, में राज्य के तीन कार्य थे- पहला राज्य पर बाहर से होने वाले आक्रमणों को रोकना, दूसरा आन्तरिक शान्ति बनाये रखना तथा तीसरा इन दोनों कार्यों के सफल क्रियान्वयन एवं उसके व्यय वहन हेतु राजस्व वसूल करना। किन्तु आगे चलकर 20वीं शताब्दी में राज्य की प्रकृति में आमूल चूल परिवर्तन हुआ और पुलिस राज्य की निषेधात्मक अवधारणा की जगह कल्याणकारी राज्य की सकारात्मक भूमिका का आर्विभाव हुआ। वर्तमान समय में लोक प्रशासन ने सामाजिक विज्ञानों में महत्वपूर्ण स्थान कायम कर लिया है और प्रशासनिक व्यवस्था की आधारशिला के साथ-साथ सभ्यता की पहचान बन गया है। आज राज व्यवस्था में लोक प्रशासन की पहुँच इतनी बढ़ गई है कि राज्य को ‘प्रशासकीय राज्य’ (Administrative State) का नाम दिया जा रहा है। ऐसे विषय की महत्ता सर्वविदित है। लोक प्रशासन की भूमिका या महत्व निम्नलिखित बिन्दुओं में समझा जा सकता है –
कल्याणकारी राज्य की स्थापना :
वर्तमान में लोक प्रशासन की महत्ता इसी से प्रकट होती है कि आधुनिक राज्य की कल्पना एक कल्याणकारी राज्य के रूप में की जा रही है। इस कल्याणकारी राज्य की भूमिका के परिप्रेक्ष्य में लोक प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है क्योंकि बिना इसके सहयोग के राज्य के उद्देश्यों तक नहीं पहुंचा जा सकता। प्रशासन के कार्यों में वृद्धि होने के कारण इसका महत्व सर्वविदित हैं।
राज्य के कार्यों में वृद्धि :
वर्तमान में विकास कार्यों पर सरकारों का अधिक जोर होने के कारण तथा राज्य के अनेक कार्यों पर सरकारों का अधिक जोर होने के कारण राज्य के अनेक कार्यों में बेतहासा वृद्धि हुई है जिसका प्रशासनिक कार्यों पर इसका प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है। अतः इन सब कार्यों से लोक प्रशासन का महत्व बढ़ता चला जा रहा है। केन्द्र स्तर पर बनी विकास योजनाएँ तथा राज्य की ओर से जारी विकास योजनाओं को पूरा करना लोक प्रशासन के समक्ष एक वृहद चुनौती है क्योंकि योजनाओं का निर्माण भले ही चाहे कोई भी इकाई या संगठन करें उसे कार्यरूप लोक प्रशासन को ही देना पड़ता है। आजकल स्वास्थ्य विभाग व शिक्षा विभाग के कार्यक्रमों को पूरा करना प्रशासन की प्राथमिकता है क्योंकि विकास का क्रम यहीं से शुरू होता है।
शान्ति व व्यवस्था स्थापित करना :
लोक प्रशासन का प्रथम कर्त्तव्य देश की अखण्डता को बनाये रखने हेतु शान्ति व व्यवस्था की स्थापना करना है। लोक प्रशासन का यह दायित्व बनता है कि वह समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य बिना किसी भेदभाव के जाति व नस्ल के आधार पर किसी भी प्रकार का पक्षपात न करते हुए उनके हितों की रक्षा करे। प्रशासन से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह समाज में एकजुटता पैदा करने का प्रयास करें फिर चाहे वह उनके रीति रिवाजों में शरीक होकर यह कार्य पूरा करे या फिर सार्वजनिक मंच पर इस तरह के आयोजनों की व्यवस्था करें जिससे समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य सौहार्द कायम हो सके।