# जिला बीजापुर : छत्तीसगढ़ | Bijapur District of Chhattisgarh

जिला बीजापुर : छत्तीसगढ़

सामान्य परिचय – सिंग बाजा, बाइसनहार्न माड़िया की अनुठा संस्कृति की यह भूमि इंद्रावती नदी की पावन आंचल में स्थित है। इस जिला की प्राकृतिक परिवेश तेलगु-मराठी लोक संस्कृति से प्रभावित है। सुदूर वनांचल में स्थित यह जिला प्रकृति का अद्वितीय उपहार है। नदी-घाटियां एवं झरनों के बीच वन्यजीवों का अखाड़ा कुटरूवन, इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान, भैरमगढ़, पामेढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य, अबुझमाड़ का रोमांच पर्यटकों को बरबस आकृष्ट करता है। भद्रकाली में दक्षिण की गंगा गोदावरी और बस्तर की गंगा इन्द्रावती का संगम, आस्था-आध्यात्म के साथ छत्तीसगढ़-तेलंगाना-महाराष्ट्र प्रदेश का त्रिवेणी संगम है।

प्रदेश में सर्वाधिक वन भूमि इस जिला में है। भोपालपट्टनम के नलवंशी विरासत एतिहासिक गौरव की गाथा कहती है। उल्लुर कूचनुर की पहाड़ी नीलम, माणिक्य, कोरण्डम की प्राकृतिक समृद्धि की कहानी बयाँ करती है। अबुझमाड़ की अनछुये पहलू, आज भी पृथ्वी के रहस्यों को जानने में प्राणी वैज्ञानिक एवं वनस्पतिशास्त्रीयों के समक्ष एक चुनौती है।

सामान्य जानकारी
  • गठन – 2007
  • क्षेत्रफल – 6,562 km²
  • पड़ोसी सीमा – नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, महाराष्ट्र, तेलंगाना।
  • पर्यटन स्थल – इन्द्रावती नेशनल पार्क, पामेड़ अभ्यारण्य, भैरमगढ़ अभ्यारण्य, भैरमदेव मंदिर, भद्रकाली मंदिर, सकल नारायण गुफा आदि ।
  • प्रमुख नदी – चिंताबाबु, इन्द्रावती, तालपेरू
प्रमुख खनिज
  • कोरण्डम – भोपालपट्टनम, कुजनुर, धंगोल, उसूर
  • गारनेट – कुचनुर
  • ताम्र अयस्क – गिलगिचा, मोडेनार, इट्टेपाल
  • बॉक्साइट – तरलीमेटा।

प्रमुख जनजातियां – गोंड, हल्बा, दोरला, मारिया, मुड़िया

केन्द्र संरक्षित स्मारक :

1. भैरमदेव मंदिर (भैरमगढ़)

काकतीय शासक भैरमदेव द्वारा निर्मित यह मंदिर बीजापुर के भैरमगढ़ में स्थित है और बड़े पत्थरों पर नक्काशीदार अर्धनारिश्वर का एक चट्टान है। छवि 13-14 वीं शताब्दी ईस्वी से संबंधित है। यह भगवान शिव के अवतार है। मंदिर के 500 मीटर भीतर तक, नागराज से संबंधित कई मूर्तियां ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। क्षेत्र में भगवान ब्रह्म की दुर्लभ छवि इसके स्थापत्य मूल्य को साबित करती है।

पर्यटन स्थल :

1. इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान (Zoo of Tigers)

  • गठन – 1978
  • टाइगर रिजर्व घोषित – 1983
  • विशेष – छत्तीसगढ़ का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान, प्रथम टाइगर रिजर्व
  • क्षेत्रफल – 1258 वर्ग किमी.
  • विशेष क्षेत्र – ‘कुटरू वन’ (एक मात्र गेम सेन्चुरी)
अन्य तथ्य –
  • यहाँ वन रूप से साल वनों की प्रधानता है।
  • पहाड़ी मैना इस राष्ट्रीय उद्यान की प्रमुख पक्षी है।
  • प्रमुख जानवर- वनभैंसा, बाघ, बारहसिंघा, बार्किंग डियर, भालू।
  • अन्य- गौर, सांभर, मोर
  • इस उद्यान के मध्य से इन्द्रावती नदी गुजरती है।
  • प्रमुख जनजाति – अबूझमाड़िया

2. पामेड़ अभ्यारण्य

यह अभ्यारण्य जगदलपुर-निजामाबाद मार्ग पर स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 262 वर्ग किमी. है। इसकी स्थापना 1983 में किया गया। इस अभ्यारण्य का नाम पामेड़ ग्राम के नाम से रखा गया है। यह अभ्यारण्य पांच पहाड़– मेटागुडंम, कोरागुट्टा, बलराजगुट्टा, कोटापल्ली एवं डोलीगुट्टा से घिरा हुआ है। इस अभ्यारण्य में तालपेरू, चिंतावगु नदी बहती है। यहां वनभैसा, शेर, तेंदुआ, चितल प्रमुख जानवर हैं।

3. भैरमगढ़ अभ्यारण्य

यह अभ्यारण्य बीजापुर जिले से 48 कि.मी. दुर भैरमगढ़ नामक स्थान पर स्थित है। इस अभ्यारण्य का नाम भैरमगढ़ के नाम पर पड़ा है। इसका कुल क्षेत्रफल 138.95 वर्ग कि.मी. है। इसका गठन सन 1983 में हुआ था। इस अभ्यारण्य से इंद्रावती नदी बहती है। यहां सागौन, अर्जुन, आवंला, जामुन, तिन्सा, धावड़ा, तेन्दु, बिजा, हर्रा, हल्दु, सलई, सेन्हा आदि के अतिरिक्त बांस एवं औषधीय पौधे भी पाये जाते हैं। इंद्रावती यह अभ्यारण्य वनभैंसा के कारण प्रसिद्ध है। वनभैंसे के अतिरिक्त इस अभ्यारण्य में शेर, तेन्दुआ, गौर, नीलगाय, चित्तल, सांभर, काकाड़, लोमड़ी, भालू, खरगोश, जंगली सुअर आदि वन्य प्राणी एवं विभिन्न प्रकार के पक्षी भी पाये जाते हैं।

4. भद्रकाली मंदिर

भद्रकाली गांव में भोपालपट्टनम से लगभग 20 किमी दूर स्थित यह मंदिर देवी काली को समर्पित है। स्थानीय लोगों का मानना है कि काकतीय शासक जो देवी काली के आस्तिक थे, पहले यहां तस्वीर स्थापित करते थे। वह स्थान जहां मंदिर स्थित है, वह पहले जंगलों में स्थित एक गुफा थी। वसंत पंचमी दिवस पर एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है और छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र के दूरदराज के स्थानों से भक्त यहां जाते हैं। अग्नि कुंड यहां आयोजित किया जाता है जहां लोग लाल गर्म कोयले के बिस्तर पर घूमते हैं।

5. सकल नारायण गुफा और मंदिर

यह गुड़ी पर्व/उगादी पर जनता के लिए खोला जाता है। जब कोई गुफा के मुख्य द्वार में प्रवेश करता है, तो कई अन्य सुरंग खोले जाते हैं जहां कई भगवान कृष्ण और शेष नाग की मूर्तियों को देखा जा सकता है।

6. उल्लूर की पहाड़ी (धनगोल माइंस)

यह छ.ग. में कोरण्डम का प्रसिद्ध खदान है। यहां पर नीला कोरण्डम तथा लाल कोरण्डम माणिक्य पाया जाता है।

7. भोपालपट्टनम (पुस्करी)

प्राचीन में यह नल-नाग वंश की राजधानी था। नल-नागवंशी राजा अर्थपति भट्टारक (465-480 ई) को वाकाटक नरेश पृथ्वी सेन ने पराजित कर राजधानी पुस्करी को तहस-नहस कर दिया। जिसकी जानकारी हमें अर्थपति भट्टारक के शिलालेख ‘केसरीबेडा अभिलेख’ से मिलती है।

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