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भारतीय संविधान की प्रस्तावना
हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य, बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को;★ सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय;★ विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास धर्म और उपसाना की स्वतंत्रता;★ प्रतिष्ठा व अवसर की समता प्राप्त करने के लिए; तथा★ उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए;दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज में तारीख 26 नवंबर 1949 ई० (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
प्रस्तावना में उल्लेखित शब्द –
हम भारत के लोग
संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न
समाजवादी
पंथनिरपेक्ष
लोकतंत्रात्मक
गणराज्य
न्याय (Justice)
स्वतंत्रता (Freedom)
समता (Equality)
बंधुत्व (Fraternity)
प्रस्तावना से संबंधित वाद –
1. इनरी बेरूवारी वाद (1960)
2. केशवानंद भारती (1973)
प्रस्तावना में संशोधन –
प्रस्तावना से संबंधित कथन –
- के०एम०मुंशी ने उद्देशिका को राजनीतिक कुंडली (जन्मपत्री) कहा है।
- पं० जवाहर लाल नेहरू के अनुसार भारतीय संविधान की आत्मा उद्देशिका में समाहित है।
- उद्देशिका संविधान निर्माताओं के विचारों को जानने की कुंजी है।
- ग्रेनविल ऑस्टिन – भारतीय संविधान मूलतः सामाजिक क्रांति का दस्तावेज है।
- न्यायमूर्ति हिदायतुल्लाह (गोलकनाथ मामले, 1967)- उद्देशिका को संविधान की मूल आत्मा कहा है।
- एन० ए० पालकीवाला (प्रसिद्ध न्यायविद् व संविधान विशेषज्ञ)- प्रस्तावना को संविधान के ‘परिचय पत्र’ की संज्ञा दी है।
- सुभाष कश्यप “संविधान शरीर है तो उद्देशिका उसकी आत्मा है। उद्देशिका आधारशिला है तो संविधान उस पर खड़ी अट्टालिका है।”
प्रस्तावना में उल्लेखित कुछ शब्दों को दो क्रांतियों से लिया गया है-
- फ्रांसिसी क्रांति– स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व
- रूसी क्रांति– सामाजिक, आर्थिक न्याय
उद्ददेशिका से संबंधित दो विशेष तथ्य –
- उद्देशिका ना तो विधायिका की शक्ति का स्त्रोत है और न ही उसके शक्तियों पर प्रतिबंध लगाने वाला है।
- यह गैर न्यायिक है अर्थात् इसकी व्यवस्थाओं को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
विशेष:-
- उद्देशिका न्याय योग्य नहीं होती, अर्थात इसके आधार पर कोई निर्णय नहीं दिया जा सकता।
- उद्देशिका संविधान का आभूषण है, यह एक उचित स्थान है जहां से कोई भी संविधान का मूल्यांकन कर सकता है।
- न्यायपलिका के अनुसार – उद्देशिका का प्रयोग संविधान की व्याख्या के लिए किया जा सकता है, जो कि संविधान के कानूनी अर्थ निर्णय में सहायता करता है।
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना का आविर्भाव पं० जवाहरलाल नेहरू द्वारा 13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा में रखे गए ‘उद्देश्य प्रस्ताव‘ से हुआ है। यही कारण है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना को ‘उद्देशिका’ कहकर भी संबोधित किया जाता है।
- प्रस्तावना (उद्देशिका), संविधान का भाग है किन्तु उसके अन्य भाग से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है।
- प्रस्तावना, अमेरिकी संविधान (प्रथम लिखित संविधान) से ली गई है, लेकिन प्रस्तावना की भाषा पर ऑस्ट्रेलियाई संविधान की प्रस्तावना का प्रभाव है।
- 42वें संविधान संशोधन अधिनियम-1976 द्वारा प्रस्तावना में समाजवादी, पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता शब्द शामिल किये गए।