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राजनीति विज्ञान और इतिहास
राजनीति विज्ञान तथा इतिहास में घनिष्ठ संबंध है। राजनीति शास्त्र राज्य के अतीत, वर्तमान व भविष्य का अध्ययन करता है। इतिहास समस्त मानव सभ्यता के अतीत का अध्ययन करता है और इस संबंध में राज्य के अतीत का भी अध्ययन करता है। इन दोनों शास्त्रों की घनिष्ठता को सीले ने इन शब्दों से व्यक्त किया है – ‘‘राजनीतिशास्त्र के अभाव में इतिहास फलहीन होता है और इतिहास के अभाव में राजनीति विज्ञान आधारहीन होता है।’’
बर्गेस का कहना है, ‘‘यदि इन दोनाें शास्त्रों को एक दूसरे से अलग कर दिया जाये तो उनमें से एक मृत नहीं तो अपंग तो जरूर हो जायेगा और शेष दूसरा भी मृग मरीचिका बन जायेगा।’’
सीले का कथन है कि, “राजनीति को यदि इतिहास के अध्ययन से परिष्कृत न किया जाये तो वह अशिष्ट बन जाती है और यदि इतिहास राजनीति से अपना सम्बन्ध विच्छेद कर ले तो वह कोरा साहित्य रह जाता है।”
लार्ड ब्राइस ने कहा है कि “राजनीति विज्ञान इतिहास और राजनीति के बीच की कड़ी है और वह अतीत को वर्तमान से जोड़ता है। यह इतिहास से अपनी सामग्री प्राप्त करता है और राजनीति में उस सामग्री का प्रयोग करता है।”
जेनसन के अनुसार, ‘आज का विश्व कार्यकुशल गणितज्ञों से भरा पड़ा है परंतु फिर भी राजनीति की गहरी समझ वाले व्यक्तियों का नितांत अभाव है और राजनीति विज्ञान समेत कोई भी विषय दूरदर्शिता के महत्व को भुलाकर अपने गणित का विकास करके उन्नति नहीं कर सकता, यह दूरदर्शिता ऐतिहासिक अध्ययन से प्राप्त होती है।”
एफ.जी. विल्सन का मत है, “राजनीतिक वैज्ञानिक के लिए इतिहास वह सामग्री है जिसका प्रयोग अपनी समस्याओं की गहराई परखने के लिए करता है। इतिहास के लिए राजनीति की सामग्री ऐतिहासिक मुद्दों को विकसित करने एवं उनकी व्याख्या करने का अंग है।”
इतिहास और राजनीति शास्त्र की पारस्परिक निर्भरता इस तरह है कि इतिहास राजनीति शास्त्र को सामग्री प्रदान करता है। इतिहास राजनीति शास्त्र के भावी आदर्शों तथा सिद्धांतों को निर्धारित करता है। इतिहास राजनीति शास्त्र का शिक्षक है। इतिहास राजनीति शास्त्र के विचार-क्षितिज को विस्तृत बनाता है। कोई भी राजनीतिक संस्था अकस्मात पैदा नहीं होती, उसकी जड़ें इतिहास में होती हैं।
कुछ विद्वान राजनीति शास्त्र व इतिहास में अन्तर को भी स्वीकार करते हैं। अर्नेस्ट बार्कर के अनुसार, ‘‘यद्यपि इतिहास व राजनीति शास्त्र की सीमाएँ आरम्भ से अन्त तक परस्पर संबंधित है, किन्तु वे वास्तव में भिन्न व स्वतंत्र शास्त्र हैं।’’ इन दोनों शास्त्रों के बीच संबंधों को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है।
राजनीति विज्ञान और इतिहास में संबंध
राजनीति विज्ञान तथा इतिहास की पारस्परिकता– राजनीति विज्ञान तथा इतिहास विभिन्न रुपों में एक दूसरे पर आश्रित हैं।
(1) इतिहास की राजनीति शास्त्र को देन-
इतिहास अतीत की राजनीतिक घटनाओं व तथ्यों का ऐसा संग्रह है जिससे राजनीति शास्त्र में अपने सिद्धान्तों के निर्धारण में सहायता मिलती है। गेटेल के अनुसार ‘‘राजनीतिक संस्थाओं को उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में ही समझा जा सकता है।’’
एक विशेष अर्थ में इतिहास राजनीति शास्त्र की प्रयोगशाला के रुप में भी सहायक होता है। अतीत में राजनीतिक क्षेत्र में किये गये कार्यों के परिणाम एवं प्रभाव का विवरण इतिहास में मिलता है। राजनीतिक क्षेत्र की इन घटनाओं को प्रयोग कहा जाता है और इतिहास को प्रयोगशाला कहा जाता है। अतीत में किये गये प्रयोग वर्तमान की समस्याओं को सुलझाने में और भविष्य को सुन्दर बनाने में सहायक होते हैं। लिप्सन का कथन है, ‘‘अपने काल क्रमानुसार अध्ययन से इतिहास राजनीति के विद्यार्थी को एक परिपक्वता और विकास की भावना देता है। इसलिए सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के लिए अन्तर्दृष्टि प्रदान करता है।’’
(2) राजनीति शास्त्र की इतिहास को देन-
हालांकि इतिहास सम्पूर्ण मानव सभ्यता के अतीत का अध्ययन करता है किन्तु इस अतीत में राजनीतिक घटनायें ही प्रमुख होती हैं। यदि इतिहास के क्षेत्र में से राजनीतिक घटनाओं का विवरण निकाल दिया जाये तो वह न केवल नीरस हो जायेगा, बल्कि महत्वहीन भी हो जायेगा। राजनीतिशास्त्र की यह देन इतिहास के प्रत्येक काल में देखी जा सकती है।
राजनीति विज्ञान और इतिहास में अंतर
यद्यपि राजनीति विज्ञान और इतिहास परस्पर एक दूसरे पर निर्भर हैं, फिर भी दोनों में कुछ मौलिक अन्तर भी हैं जो निम्नानुसार हैं:-
1. अध्ययन की पद्धति में अन्तर –
दोनों शास्त्रों की अध्ययन पद्धति में अन्तर है। इतिहास मात्र वर्णनात्मक पद्धति का प्रयोग करता है अर्थात् अतीत की घटनाओं का क्रमबद्ध और तटस्थ अध्ययन करता है, किन्तु राजनीति शास्त्र पर्यवेक्षणात्मक व दार्शनिक पद्धतियों का भी प्रयोग करता है।
इतिहास वर्णनात्मक होता है और उसमें घटनाएँ काल-क्रम के अनुसार दी जाती हैं पर राजनीति विज्ञान केवल उन्हीं घटनाओं को लेता है जिनका संबंध राजनीति के विकास से है। राजनीति विज्ञान की पद्धति चिन्तन मूलक है। इतिहास द्वारा दी गई सामग्री का उपयोग करते हुए यह सामान्य नियमों और सिद्धांतों की खोज करता है।
2. क्षेत्र का अन्तर –
राजनीतिशास्त्र और इतिहास के अध्ययन क्षेत्र में पर्याप्त अन्तर है। राजनीतिशास्त्र मनुष्य के राजनीतिक जीवन तथा राजनीतिक संस्थाओं का ही अध्ययन करता है, किन्तु इतिहास मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन का व समस्त संस्थाओं के अतीत का अध्ययन करता है। इसके अतिरिक्त इतिहास केवल अतीत का ही अध्ययन करता है जबकि राजनीति विज्ञान अतीत, वर्तमान और भविष्य का अध्ययन करता है।
इतिहास का क्षेत्र व्यापक है क्योंकि यह सामाजिक जीवन के आर्थिक, धार्मिक तथा सैनिक पहलुओं पर विचार करता है पर राजनीति विज्ञान की इन विषयों में वहीं तक रुचि है जहाँ तक ये विषय राज्य के स्वरूप और राजनीतिक नियंत्रण के विकास पर प्रकाश डालते हैं।
3. उद्देश्य में अन्तर –
इतिहास का उद्देश्य है मात्र अतीत की तटस्थ जानकारी प्राप्त करना जबकि राजनीतिशास्त्र का उद्देश्य है अतीत के अनुभवों से लाभ उठाकर वर्तमान व भविष्य को अधिक सुखद व लाभदायक बनाना। इसके अतिरिक्त इतिहास अतीत की वास्तविक घटनाओं का अध्ययन करता है। अतः उसकी प्रकृति तथ्यात्मक है, किन्तु राजनीतिशास्त्र की प्रकृति आदर्शात्मक है। यह अतीत की राजनीतिक घटनाओं का ही अध्ययन नहीं करता बल्कि वर्तमान की समस्याओं पर भी विचार करता है और भविष्य को उज्ज्वल बनाने की आकांक्षा रखता है।
इतिहास का संबंध ठोस तथ्यों से होता है पर राजनीति विज्ञान का संबंध आदर्शों और आदर्श प्रकारों (Abstract types) से रहता है। राजनीति विज्ञान बतलाता है कि शब्द को कैसा होना चाहिए; पर इतिहास बतलाता है कि राज्य इस समय कैसा है और पहले कैसा था।
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